कोरोना के समय महिलाएं ज्यादा तनाव ले रही हैं जिसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. लेकिन दुर्भाग्य से कई महिलाएं इस बात को न समझ पाने के कारण धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो रही हैं. ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इसके विभिन्न कारण हैं जैसे कि परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता, ज़िम्मेदारियों का बढ़ना, बहुत अधिक सोचना, नींद पूरी न होना, योग व मेडिटेशन की कमी, घर से बाहर न निकल पाना, घर की अन्य समस्याओं की चिंता आदि. इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं.

वैसे सामान्य दिनों में भी महिलाएं कई कारणों से मेंटल हेल्थ समस्याओं की शिकार रहती हैं. आमतौर महिलाओं को घर और ऑफिस के बीच संतुलन बनाएं रखना होता है और जब वे यह करते-करते थक जाती हैं तो वे तनाव का शिकार होने लगती हैं. वहीं परिवार के हर सदस्य की खुशी का ख्याल रखते-रखते वे अपनी खुशियों के बारे में पूरी तरह भूल जाती हैं जो भविष्य में उनके तनाव का कारण बनता है. प्रेग्नेंसी, पीरियड्स, घर में किसी की तबियत खराब हो गई है, कोई परेशान है, घर की आर्थिक स्थिति आदि कई कारणों से महिलाएं तनावग्रस्त हो जाती हैं.

तनावग्रस्त या डिप्रेशन में होने के लक्षण

  • बात-बात पर गुस्सा आना
  • चिड़चिड़ापन
  • अचानक रोने का मन करना
  • हर चीज़ में गड़बड़ी महसूस होना
  • नींद न आना
  • भूख लगने के बाद भी खाने का दिल न करना
  • बहुत ज्यादा या बहुत कम भूख लगना
  • लोगों से दूर भागना
  • ज्यादातर अकेले रहना

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समस्या से बचने का उपाय

दुर्भाग्य से मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को गंभीर होते देर नहीं लगती है. इसलिए हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि यही एक विकल्प है जिससे इस स्थिति को जीता जा सकता है.

एक अच्छा रुटीन तैयार करें: एक अच्छा रुटीन बनाएं और हर दिन उसका पालन करें. घर के कामों के अलावा अपनी हॉबीज़ पर भी ध्यान दें. ऐसी गतिविधियों में शामिल हों जिनमें आपको दिलचस्पी भी हो और जो आपको खुश भी करते हों.

योग और मेडिटेशन करें: मेडिटेशन और योगा आपको न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखते हैं. इसलिए हर दिन सुबह जल्दी उठकर योग अवश्य करें. इससे मस्तिष्क में खून का प्रवाह बेहतर होता है, हेप्पी हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं और ऑक्सिडेटिव तनाव कम होता है. हल्की फुल्की एक्सरसाइज़ भी सेहत के लिए अच्छी रहेगी.

स्वस्थ आहार: आपको पौष्टिक व संतुलित आहार के साथ शारीरिक सक्रियता का पूरा ख्याल रखना है. ऐसी चीजें खाएं जिससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत रहे. हार्मोनल स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण कभी भूख ज्यादा लगती है तो कभी कुछ भी खाने का मन नहीं करता है. असल समस्या पर ध्यान दें, लाँग टर्म की दृष्टि के साथ सोचें और सही फैसला करें.

अच्छी नींद: किसी भी व्यक्ति को हर रोज़ 6-7 घंटों की अच्छी नींद पूरी करनी चाहिए. नींद पूरी होने से आप हमेशा तरोताज़ा महसूस करेंगी जिससे आपको तनाव से लड़ने में मदद मिलेगी.

आराम जरूरी: हमारे देश में घर का ज्यादातर काम महिलाएं ही करती हैं. यहां तक कि ऑफिस वाली महिलाओं को भी अपने घर के कामों पर भी ध्यान देना पड़ता है. परिवार की ज़रूरतों को पूरा करते करते महिलाएं अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ कर देती हैं जो उनके तनाव का कारण भी बनता है. काम जरूरी हैं लेकिन पर्याप्त मात्रा में आराम करना भी जरूरी है.

बहुत ज्यादा सोचें नहीं: घर परिवार में छोटी-बड़ी बातें होती रहती हैं. हालांकि हालात खराब हैं लेकिन आपको हिम्मत से काम लेना है क्योंकि आप स्वस्थ रहेंगी तभी परिवार का ख्याल अच्छे से रख पाएंगी.

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जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से संपर्क करने से बिल्कुल न हिचकिचाएं. इस प्रकार के तनाव या डिप्रेशन के इलाज के लिए काउंसलिंग, एंटी डिप्रेशन दवाइयां या हार्मोनल थेरेपी आदि शामिल की जाएंगी. यदि इन सब के बाद भी तनावग्रस्त महसूस करती हैं तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें.

डॉक्टर गौरव गुप्ता, साइकोलॉजिस्ट, डायरेक्टर, तुलसी हेल्थकेयर

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