आज सब की प्राथमिकता में स्वस्थ रहना है. किसी को कैंसर या उस जैसी जानलेवा दूसरी बीमारियों से डर नहीं है. डर है तो सिर्फ कोविड-19 बीमारी से, जो नोवल कोरोना वायरस के हमले से हो जाती है.
वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचाव के लिए जारी की गईं गाइडलाइन्स को सभी जानते हैं. इस में बेसिक 3 बातें अहम हैं- हैंडवाश, सोशल डिस्टेंसिंग और फेसमास्क. यह भी सभी को मालूम है. लेकिन इन में से सब से बेहतर बचाव फेसमास्क से होता है. पहले हाथ धोने और सामाजिक दूरी को ही अहमियत दी गई थी. फेसमास्क पर जोर नहीं था. रिसर्च हुई तो फिर फेसमास्क के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया. उस के बाद की रिसर्च के बाद फेसमास्क को कुछ देशों में अनिवार्य कर दिया गया. अब तकरीबन पूरे भारत में भी इसे जरूरी कर दिया गया है.
मास्क से बेहतर बचाव :
दुनिया के देशों में कोरोना पर रिसर्चें हो रही हैं. कम समय में जितनी रिसर्चें इस विषय पर हुईं और हो रही हैं, उतनी शायद किसी दूसरे विषय पर नहीं हुईं. एक ताजा रिसर्च सामने आई है जिस में कोरोना वायरस के इन्फैक्शन से बचाव के लिए फेसमास्क को हैंडवाश और सोशल डिस्टेंसिंग से बेहतर करार दिया गया है.
अमेरिका में की गई एक स्टडी से यह संकेत मिला है कि हैंडवाश और सोशल डिस्टेंसिंग की तुलना में फेसमास्क इंसानों को कोरोना वायरस से बचाने में अधिक कारगर हो रहे हैं. यह स्टडी अमेरिका के युद्धपोत थियोडोर रूजवेल्ट पर की गई. इस युद्धपोत पर करीब एक हजार लोग कोरोना से संक्रमित हो गए थे.
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मार्च में ही युद्धपोत थियोडोर रूजवेल्ट के 4,900 क्रू मेंबर्स में से 1,000 से अधिक कोरोना पौजिटिव हो गए थे. एक शख्स की मौत भी हो गई थी. बाद में
नेवी और अमेरिका के सेंटर फौर डिजीज कंट्रोल ने युद्धपोत के 382 क्रू मेंबर्स से सैंपल ले कर स्टडी की.
अमेरिका के एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने पाया कि मास्क पहनने और न पहनने वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने में 25 फीसदी का अंतर है. जबकि, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और न करने वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने में 15 फीसदी का अंतर था. वहीं, कोरोना संक्रमित होने को ले कर हैंडवाश करने और न करने वाले लोगों के बीच सिर्फ 3 फीसदी का अंतर था.
382 लोगों के सैंपल पर की गई स्टडी में पता चला था कि मास्क पहनने वाले 55 फीसदी लोग संक्रमित हो गए. जबकि नहीं पहनने वाले लोगों में संक्रमित होने वालों की संख्या 80 फीसदी थी. यानी, मास्क
पहनने से संक्रमण रोकने में 25 फीसदी की कमी
आई.
मास्क पर लगे वायरस को नष्ट करें :
अब जब दुनिया के अधिकतर देशों में लौकडाउन को ख़त्म किया जा रहा है और बाज़ार खुलने लगे हैं तो मास्क का प्रयोग लोगों की रोज़मर्रा की आदत बन गया है.
सवाल यह है कि जब मास्क को पाबंदी से इस्तेमाल करना है तो क्या तरीक़ा है कि मास्क पर संभावित रूप से लगे कोरोना वायरस को मारा जाए और मास्क को फिर से इस्तेमाल करने के लायक़ बनाया जाए?
उस मास्क की बात नहीं की जा रही है जो डाक्टर और चिकित्सा विभाग के स्टाफ़ के लोग प्रयोग करते हैं और जिसे एन-95 मास्क कहा जाता है. बात आम मास्क के बारे में है जो आमतौर पर लोग इस्तेमाल करते हैं.
यह मास्क पतला होता है. इसे धोना मुश्किल होता है. इस प्रकार के मास्क को इस्तेमाल करने के बाद अगर 72 घंटे के लिए किसी जगह पर रख दिया जाए, तो अगर उस पर कोरोना वायरस लगा भी है तो वह मर जाएगा. कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि मास्क को एक सप्ताह के लिए छोड़ देना चाहिए, तब तक उस पर मौजूद वायरस ख़त्म हो जाएगा.
ऊपर 2 अलगअलग विचारों की वजह यह है कि कोरोना वायरस अलगअलग वातावरण में अधिक या कम अवधि में समाप्त हो जाता है. यदि तापमान कम है तो वायरस अधिक समय तक जीवित रहता है और यदि तापमान ज़्यादा है तो वह जल्दी ख़त्म हो जाता है.
मैडिकल विशेषज्ञों की इस बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण अनुशंसाएं हैं, उन्हें आप भी जानिए.
* मास्क को जैविक ख़तरे के रूप में देखना चाहिए, जब भी उसे हाथ लगाएं तो अपने हाथ साबुन से 20 सैकंड तक ज़रूर धोएं.
* यदि मास्क गंदा हो जाए तो फिर उसे इस्तेमाल न करें.
* मास्क कहीं से भी फटा हुआ नहीं होना चाहिए.
* मास्क को प्रयोग करने के बाद काग़ज़ के लिफ़ाफ़े में डाल कर एक हफ़्ते तक छोड़ दें, उस के बाद उसे फिर इस्तेमाल करें.
* जिस लिफ़ाफ़े में मास्क रखा है, उसे बच्चों से दूर रखें.
* एक हफ़्ते के बाद लिफाफे से मास्क बाहर निकालें तो इसे वही व्यक्ति इस्तेमाल करे जिस ने पहले इस्तेमाल किया है, कोई दूसरा व्यक्ति नहीं.
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दुनिया ने अब जब मान लिया है कि कोरोना संग जीना है तो हर इंसान को सावधानियां तो बरतनी हो होंगी अन्यथा जीवन का समय गुजारना दुश्वार हो जाएगा. वायरस के दौर में स्वस्थ जिंदगी के लिए मास्क अनिवार्य और बहुत ही महत्त्वपूर्ण टूल है. सो, हमआप सभी इस का सुरक्षित इस्तेमाल करें वरना दिक्कत हो सकती है.