देश में ठण्ड और त्योहार का मौसम शुरू होते ही कोरोना के प्रति लोगों की लापरवाही देखने को मिली. जबकि ठण्ड, कोहरा और प्रदूषण ने कोरोना को और मजबूती देने का काम किया. दिल्ली में ठंड बढ़ने के साथ ही कोरोना केसेस बढ़ने लगे हैं. लोग अस्पतालों के लंबे-चौड़े खर्चों, डॉक्टर्स की लापरवाही के चलते बुखार, खांसी होने पर ना तो कोई कोरोना टेस्ट करवा रहे हैं और ना ही डॉक्टर के पास जा रहे हैं. वे घर में ही अलग कमरे में रहकर बुखार के लिए पैरासिटामॉल दवा का सेवन कर रहे हैं. साथ ही खांसी के लिए गर्म पानी का भांप ले रहे हैं. ऐसे में उनको कोरोना है या फ्लू इसका पता ही नहीं चल रहा है.

घर के अन्य लोग जो उनके कांटटैक्ट में हैं उनका बाहर के लोगों के बीच भी उठना बैठना है. जिसके चलते कोरोना को बढ़ने का अवसर मिल रहा है. कोरोना संक्रमित लोग हमारे आस-पास घूम रहे हैं और हमें पता ही नहीं है. वायरस हर इंसान की इम्यूनिटी पावर को देखकर हमला कर रहा है, किसी को कम तो किसी को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. इसलिए लॉकडाउन भले खत्म हो गया हो, ऑफिस जाना शुरू हो गया हो, मेट्रो, ट्रेन, बसों ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी हो मगर ठण्ड के मौसम में कोरोना को लेकर हमें और ज्यादा सतर्कता और सावधानी बरतने की जरूरत है.

दिल्ली शहर में कोविड माहामारी की तीसरी लहर विकराल रूप ले चुकी है. इस आर्टिकल के माध्यम से डॉक्टर सुगंधा गुप्ता (संस्थापक व वरिष्ठ मनोचकित्सक दिल्ली माईंड क्लिनिक करोल बाग) हमें पोस्ट कोविड के बारे में पूरी जानकारी दे रहीं हैं.

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