जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ रही है वैसे-वैसे बीमारियों का प्रकोप भी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. अब कुछ बीमारियां तो इतनी आम हो गई हैं कि हर घर में आप को उन के मरीज मिल जाएंगे. ऐसी ही एक बीमारी है एनल फिस्टुला. इस रोग में एनल द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है, जिस से पस निकलता है और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है. समुचित इलाज न होने पर फोड़ा बन जाते हैं. यही नहीं फिस्टुलारूपी यह समस्या कालांतर में कैंसर और आंतों की टीबी का भी कारण बन सकती है.
लक्षण:
इस रोग के अंतर्गत मलत्याग करते वक्त बहुत अधिक पीड़ा होती है और मल के साथ पस अथवा रक्त बाहर आता है. इस रोग के कारण एनल क्षेत्र में तेज खुजली और जलन होती है. कुछ मरीजों को डायरिया और बुखार भी हो जाता है. इस का शिकार होने के बाद भूख नहीं लगती, पेट साफ नहीं रहता और रोगी का वजन भी घटता जाता है. फिस्टुला की भीतरी दीवारों पर फाइबर टिशूज तथा पेयोजेनिक मैंबे्रन विकसित हो जाते हैं जो घाव को स्वाभाविक रूप से सूखने नहीं देते. साथ ही एनल में तेज दर्द होता है. बैठने पर दर्द अधिक बढ़ जाता है और त्वचा लाल हो जाती है. वह फट भी सकती है.
कारण:
इस का कारण एनल कनाल की कोशिकाओं में होने वाला संक्रमण है. यह संक्रमण रैक्टम में सामान्य तौर पर पहले से ही मौजूद बैक्टीरिया के प्रसार के कारण होता है. अगर शुरुआती दौर में ही इस संक्रमण को खत्म करने का प्रयास किया जाए तो इसे विकसित होने से रोका जा सकता है. लेकिन समस्या यह है कि अकसर मरीज को इस का पता ही नहीं चलता और वह यह समझता है कि कब्ज की वजह से उसे मल त्याग करते वक्त दर्द हो रहा है. जब घाव गहरा हो जाता है और मलद्वार से रक्त और पस बाहर आने लगता है तब यह एहसास होता है कि मरीज एनल फिस्टुला का शिकार हो गया है.