लेखिका -अनुराधा
आधुनिकता के इस दौर ने सभी चीजों में नएपन की एक परत चढ़ा दी है. यह नयापन युवतियों की सोच में भी आया है. अब युवतियां लंबी उम्र तक अकेले ही रहना पसंद करती हैं और अपने हिसाब से जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाती हैं. मगर उम्र के 30वें पड़ाव पर पहुंचने के बाद महिलाओं का शरीर कई शारीरिक बदलाव की प्रक्रियाओं से गुजरता है खासतौर पर वे लड़कियां, जो सिंगल हैं उन में कुछ बदलाव विवाहित लड़कियों से कुछ अलग हो जाते हैं.
इस बाबत एक इन्फर्टिलिटी एवं डैंटल हैल्थ सैंटर की वूमन हैल्थ स्पैशलिस्ट कहती है कि युवतियां विवाहित हों या अविवाहित 30 की उम्र पार करते ही उन के शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं और 40 की उम्र तक पहुंचनेपहुंचते बदलाव की प्रक्रिया तेज हो जाती है. अविवाहित युवतियों में कुछ बीमारियों का डर अधिक होता है क्योंकि वे सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव नहीं होती हैं.
जो बदलाव विवाहित युवतियों में शरीर को चुस्त रखने के लिए होते हैं वे सारे बदलाव अविवाहित युवतियों के शरीर में नहीं हो पाते हैं. मगर इस उम्र में सभी युवतियों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें लगभग एक सी होती हैं और खुद को फिट रखने के तरीकों में भी अधिक फर्क नहीं होता है.
फैमिली हैल्थ हिस्ट्री पर दें ध्यान
इस उम्र में खुद को चुस्त रखने के लिए युवाओं के पास बहुत से तरीके होते हैं खासतौर पर व्यायाम, नियमित हैल्थ चैकअप और संतुलित एवं पोषणयुक्त आहार आदि इस उम्र की खास जरूरतों में शामिल होते हैं. युवतियों के लिए इन तीनों में सही तालमेल बैठाना बहुत जरूरी है. न्यूट्रीशनिस्ट का कहना है कि क्लीनिकल डैफिशिएंसी के मामले में इस उम्र की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा थोड़ी कमजोर हो जाती हैं.
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