चिलचिलाती गरमी के दौरान डिहाइड्रेशन का खतरा और त्वचा पर होने वाले दुष्प्रभावों को ले कर चर्चा तो खूब होती है, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि तपती गरमी का असर हमारे दिल पर भी पड़ता है. गरमी के मौसम में हमारी शारीरिक प्रणाली बाहर की गरमी से शरीर का तापमान कम रखने के लिए लगातार जूझती है, लेकिन दिल इन सभी मुसीबतों को झेलता रहता है. ऐसे हालात में दिल की समस्या वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है. लिहाजा यदि आप हृदयरोगी, हाइपरटैंशन से पीडि़त, अधिक वजन वाले और 50 साल की उम्र को पार कर चुके हैं, तो गरमी के दिनों में अपनी सुरक्षा के लिए विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है. तेज गरमी शरीर का अनिवार्य पानी सोख लेती है जिस कारण डिहाइड्रेशन, दिल की धड़कनों, ब्लडप्रैशर, कोलैस्ट्रौल और रक्त के गाढ़ेपन का प्रतिकूल असर पड़ता है. तापमान बढ़ने की स्थिति में कार्डियोवैस्क्युलर, सांस की तकलीफ आदि से पीडि़त व्यक्तियों की परेशानियां और बढ़ जाती हैं.
दिल पर खतरा
गरमी के मौसम में दिल के मरीजों में हीट स्ट्रोक के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं. आखिर अत्यधिक गरमी से कैसे दिल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है? दरअसल, हमारा शरीर ग्लूकोज को जलाते हुए लगातार हीट ऐनर्जी पैदा करता रहता है. त्वचा से पसीना निकलते रहने और विकिरण क्रिया से शरीर के तापमान और वातावरण के तापमान के बीच संतुलन बना रहता है. हालांकि जब वातावरण का तापमान बहुत बढ़ जाता है और मौसम में नमी बढ़ जाती है, तो शरीर को ठंडा रखने की इन दोनों क्रियाओं में दिल पर बहुत अधिक जोर पड़ने लगता है. अत्यधिक गरमी के कारण कुछ खास हालात में दिल का काम करना भी बंद हो जाता है. सामान्य हालात में शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए त्वचा तक गरम रक्तप्रवाह बढ़ाते हुए एक नियंत्रण प्रणाली रखता है. गरमी के दौरान एक स्वस्थ शरीर में त्वचा के जरीए रक्तप्रवाह 3 गुना बढ़ जाता है. दिल के मरीजों की दिल की मांसपेशियां काफी कमजोर हो सकती हैं और त्वचा की रक्तनलिकाएं गरमी बाहर निकालने के लिए पर्याप्त रूप से फैलने में असमर्थ हो सकती हैं. इस से शरीर का तापमान नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है. चूंकि शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए लगातार जूझता रहता है, इसलिए दिल को भी इस में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. शरीर से गरमी बाहर निकालने के लिए कमजोर दिल की संरक्षण क्षमता कम होती है, इसलिए दिल के मरीजों को तेज गरमी या नमी वाले मौसम में बाहर निकलने से बचना चाहिए. इसी तरह पसीने के साथ शरीर से सोडियम, पोटैशियम और अन्य मिनरल्स भी बाहर निकल जाते हैं, जो मांसपेशियों को बांध कर रखने, स्नायु संचरण और जल संतुलन के लिए जरूरी होते हैं. पसीने के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए शरीर हारमोन रिलीज करने लगता है ताकि नुकसान कम से कम हो और इस का भी असर कार्डियोवैस्क्युलर सिस्टम पर ही पड़ता है.