कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आतो रहे हैं. क्या आप जानते है कि ब्रेस्ट कैंसर होने की वजहों में अब हवा भी शुमार हो गई है. किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी होगी या नहीं यह इस बात पर निर्भर करती है कि वह कैसी हवा में सांस ले रही है.

जिन इलाकों में उच्च स्तर का वायु प्रदूषण होता है, वहां की महिलाओं के स्तनों के ऊतकों का घनत्व ज्यादा हो सकता है और उसमें कैंसर पनपने की आशंका बढ़ जाती है.

अमेरिका की करीब 2,80,000 महिलाओं पर अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है. कहा गया है कि स्तनों का आकार ऊतकों का घनत्व बढ़ने से बड़ा हो जाता है और वसा की अधिकता से भी आकार बढ़ता जाता है, लेकिन अगर चर्बी बढ़ने से स्तन का आकार बढ़ा हो, तो उसमें कैंसर पनपने की आशंका नहीं रहती.

ये खतरा तब होता है जब ऊतकों का घनत्व बढ़ता है, जिसे मैमोग्राफी मापा जा सकता है.

फाइन पार्टिकल कन्सेंट्रेशन (पीएम 2.5) में एक इकाई की बढ़ोतरी से महिलाओं के स्तनों के ऊतकों का घनत्व बढ़ने की संभावना 4 फीसदी बढ़ जाती है. जिन महिलाओं के ज्यादा घनत्व वाले स्तन हैं और ऊतकों की 20 फीसदी तक उच्च सांद्रता, उन्होंने पीएम 2.5 से भी अधिक वायु प्रदूषण का सामना किया था. इसके विपरीत जिन महिलाओं के कम घनत्व वाले स्तन हैं, उन्होंने पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता का 12 फीसदी कम सामना किया.

कई शोध निष्कर्षों से पता चलता है कि स्तन घनत्व की भौगोलिक विविधता की बातें शहरी और ग्रामीण इलाकों में वायु प्रदूषण की अलग-अलग स्थितियों पर आधारित हैं.

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