जी वन में बढ़ रही व्यस्तताओं के बीच जोखिम में भी कई गुना इजाफा हुआ है. ऐसे में दुर्घटना, मृत्यु या फिर विकलांगता जैसी आपातकालीन स्थिति में आप के परिवार को किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े, यह सुनिश्चित करना भी आप की जिम्मेदारी है. बीमा विशेषज्ञ अविनाश खन्ना बताते हैं कि ज्यादातर लोगों को यह पता है कि स्वास्थ्य बीमा जीवन के जोखिम से आप को और आप के परिवार को सुरक्षित करने में बड़ी भूमिका निभाता है, इस के बावजूद अपने लिए उपयुक्त हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी का चुनाव करना सब के बस की बात नहीं. हालांकि यह काम उतना मुश्किल भी नहीं है. जरा सी सूझबूझ और सतर्कता से आप अपने लिए उपयुक्त बीमा पौलिसी का चुनाव आसानी से कर सकते हैं.
ध्यान रहे
पौलिसी का चुनाव: पौलिसी लेने से पहले आप को यह पता होना चाहिए कि बाजार में 2 तरह की हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसियां उपलब्ध हैं. ये हैं इंडेम्निटी और बैनीफिट. अस्पताल में भरती होने की स्थिति में इंडेम्निटी पौलिसी आप के डाक्टर का खर्च, दवाओं, अस्पताल के कमरे के किराए आदि का भुगतान करती है, जबकि किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में बैनीफिट पौलिसी काम आती है. इस पौलिसी से आप को इलाज के लिए एकमुश्त रकम मिल जाती है. यदि यह आप की पहली पौलिसी है, तो आप को इंडेम्निटी पौलिसी का चुनाव करना चाहिए.
टौप अप प्लान
स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में सालाना 15 से 18 फीसदी की दर से इजाफा हो रहा है. हालांकि यह हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है कि भारीभरकम प्रीमियम भर कर के ज्यादा से ज्यादा बीमारियों के कवर वाला प्लान ले सके. ऐसी स्थिति में टौप अप प्लान काफी काम आते हैं. ये प्लान तब काम आते हैं जब आप के इलाज का खर्च एक सीमा से बाहर चला जाता है. उदाहरण के तौर पर यदि इलाज के दौरान आप का खर्च 3 लाख रुपए आता है तो इंडेम्निटी प्लान से आप को 2 लाख रुपए का ही भुगतान किया जाएगा. ऐसे में यदि आप ने पहले से टौप अप प्लान ले रखा है तो अतिरिक्त भुगतान आप को टौप अप प्लान से कर दिया जाएगा. हालांकि टौप अप प्लान कुछ विशेष परिस्थितियों के लिए ही होते हैं. लिहाजा, इन का चुनाव अपनी सुविधा के अनुसार करें.
मैटर्निटी कवर
भविष्य में क्या होने वाला है, इस बात का अंदाजा पहले से लगाना काफी मुश्किल होता है. हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों का अंदाजा व्यक्ति को पहले से ही होता है. हर परिवार में एक न एक दिन बच्चे का जन्म होता है और उस पर होने वाले भारीभरकम खर्च से भी सब वाकिफ होते हैं. जब आप बीमा पौलिसी का चुनाव करें तो मैटर्निटी कवर लेना कभी न भूलें. ऐसा नहीं है कि अब तक बीमा कंपनियां मैटर्निटी कवर नहीं दे रही थीं. बाजार में इस तरह की पौलिसी पहले से मौजूद थी. यह जरूर है कि इस के लिए कंपनियों ने अब पौलिसी का वेटिंग पीरियड घटा दिया है. वेटिंग पीरियड का मतलब यह है कि पौलिसी लेने के एक निश्चित समय के बाद ही आप को मैटर्निटी क्लेम दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर कई कंपनियों ने अब इस के लिए 9 महीने से 1 साल का वेटिंग पीरियड कर दिया है. जिस के बाद आप मैटर्निटी बैनीफिट का लाभ उठा सकते हैं.
वेटिंग पीरियड
आप को किसी भी बीमारी के लिए क्लेम उस के वेटिंग पीरियड के बाद ही मिलता है. उदाहरण के तौर पर यदि आप को पौलिसी लेने के तत्काल बाद पता चलता है कि आप को डायबिटीज है, तो आप को इस के इलाज के लिए पौलिसी से कोई मदद नहीं मिलने वाली. अच्छा यही रहता है कि आप कम उम्र में ही बीमा पौलिसी ले लें, क्योंकि इस उम्र में बीमारियां कम होती हैं. साथ ही आप ने जिन बीमारियों का कवर लिया है उन सभी का वेटिंग पीरियड भी पूरा हो चुका होता है.
पौलिसी की लागत
कई बार लोग ज्यादा कवर लेने के चक्कर में खुद पर अतिरिक्त भार डाल लेते हैं. यह अक्लमंदी की बात नहीं है. पौलिसी लेने से पहले अपनी जरूरत, जोखिम और पौलिसी पर आने वाली लागत की ठीक प्रकार से समीक्षा कर लें. उदाहरण के तौर पर हो सकता है कि आप की आय के अनुरूप आप प्रतिमाह 1 हजार रुपए तक की पौलिसी का खर्च वहन कर पाएं. ऐसी स्थिति में यदि आप क्षमता से ज्यादा के प्रीमियम वाली पौलिसी ले भी लेते हैं तो इसे जारी रख पाना आप के लिए मुश्किल होगा.
तुलना जरूर करें
बाजार में कई कंपनियां अलगअलग विशेषताओं वाली ढेरों पौलिसियां उपलब्ध करा रही हैं. यदि पौलिसी का चुनाव गलत हो जाए तो जरूरत पड़ने पर आप उस के फायदों से भी वंचित रह जाएंगे. लिहाजा, विभिन्न पौलिसियों के बीच तुलना करना बेहद जरूरी है. इंटरनैट पर आप को ऐसी कई वैबसाइटें मिल जाएंगी जहां आप औनलाइन हैल्थ इंश्योरैंस पौलिसी की तुलना कर सकते हैं. इस से आप के लिए यह फैसला करना बेहद आसान हो जाएगा कि आखिर आप के लिए कौन सी पौलिसी उपयुक्त है.