बचे तेल का प्रयोग स्वाद को ही नहीं, सेहत को भी खराब करता है. जानिए, कैसे...

भारतीय खाने में सप्ताह में 2-3 दिन डीप फ्राई कुकिंग की जाती है. उस के बाद जो तेल बचता है उसे विभिन्न खाद्यपदार्थ बनाने के लिए पुन: प्रयोग किया जाता है. आहार विशेषज्ञों के अनुसार बारबार पके तेल का प्रयोग करने से वह खराब हो जाता है. उस की गंध व पौष्टिकता नष्ट हो जाती है. उस में कैंसर पैदा करने वाले तत्त्व उत्पन्न हो जाते हैं. कड़ाही में बचे तेल में गंदे मौलक्यूल्स भी उत्पन्न हो जाते हैं, जो सेहत पर बुरा असर डालते हैं. इस से कई बार अपच और कब्ज की समस्या हो जाती है एक अन्य शोध के अनुसार जब एक बार तेल गरम किया जाता है, तो उस में एचएनई (हाइड्रौक्सीनोनेनल) पदार्थ बनने शुरू हो जाते हैं. ये वे विषाक्त पदार्थ होते हैं, जो सेहत पर बुरा असर डालते हैं. जितनी बार तेल को गरम किया जाता है उस में उतने ही अधिक एचएनई बनते हैं यानी तेल उतने ही अधिक विषैले पदार्थों से युक्त हो जाता है. एचएनई उस तेल में ज्यादा बनते हैं, जिस में लिनोलेइक ऐसिड अधिक होता है. ग्रेपसीड, कौर्न औयल और सैफलाउट तेल का प्रयोग कुकिंग के लिए किया जा सकता है. मगर डीप फ्राई करने के लिए ये तेल उपयुक्त नहीं होते.

आहार विशेषज्ञों के अनुसार जब इन्हें बारबार गरम किया जाता है तो इस में फ्रीरैडिकल्स उत्पन्न हो जाते हैं और जब इन में पका भोजन खाया जाता है तो ये रैडिकल्स स्वस्थ कोशिकाओं से जुड़ कर बीमारियां पैदा करते हैं. ये धमनियों में बैड कोलैस्ट्रौल भी बढ़ाते हैं. बचे तेल को दोबारा प्रयोग करने से ऐसिडिटी, हार्ट डिजीज, अल्जाइमर, पार्किंसंस जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

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