जब आप मछली खा रहे होते हैं तो क्या आप को पता होता है कि असल में आप क्या खा रहे हैं? कैमिकल्स, इंसानी मल या फिर प्लास्टिक?

कुछ समय पहले मरीन पौल्यूशन बुलेटिन में प्लाईमाउथ यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट की एक रिसर्च छपी थी, जिस में बताया गया था कि इंगलैंड के समुद्री तटों पर पकड़ी गई एकतिहाई मछलियों में भरपूर मात्रा में प्लास्टिक तत्त्व पाए गए. यह केवल उत्तरी या अटलांटिक सागर की मछलियों का मामला नहीं है.

प्लैनेट अर्थ औनलाइन में वैज्ञानिक रिचर्ड थौमसन ने बताया कि प्रारंभिक शोध के नतीजों में विश्व की पूरी समुद्री तटरेखा, समुद्री सतह और यूनाईटेड किंगडम के सागरों में प्लास्टिक के छोटेछोटे तत्त्व भारी मात्रा में बिखरे हुए हैं. रिसर्च में यह भी पता चला है कि किस तरह प्लास्टिक के ये तत्त्व जीवों के शरीर में अपनी जगह बना रहे हैं.

चौंकाने वाले तथ्य

प्लाईमाउथ समुद्र तट से 10 किलोमीटर अंदर जा कर 504 मछलियों को पकड़ा गया, जिन में व्हाइटिंग, हौर्स मैकरेल, जौन डौरी और रैड गर्नर्ड जैसी मछलियां भी शामिल थीं. इन में से 184 मछलियों के पाचनतंत्र में से 1 से ले कर 15 पीस तक प्लास्टिक तत्त्वों के निकाले गए. अन्य तरह के 351 प्लास्टिक के तत्त्व भी मछलियों के शरीर में पाए गए. इन में ज्यादातर तत्त्व प्लास्टिक बोतल, पौलिथीन, स्टाइरोफोम (एक तरह का थर्मोकोल), प्लास्टिक के दस्ताने, ढक्कन, फोम के पैकेजिंग आइटम, प्लास्टिक की रस्सी, प्लास्टिक के मछली पकड़ने वाले जाल, अंडे रखने वाले प्लास्टिक के गत्ते, लाइटर, स्ट्रा, कौस्मैटिक और सैनिटरी उत्पादों इत्यादि के थे. इस के अलावा सिगरेट का बचा हिस्सा भी काफी मात्रा में मिला.

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