क्या आपने कभी अपनी आंखों में ऐसा दबाव महसूस किया है, जिससे तेज सिरदर्द हुआ हो और आंखें लाल हो उठी हो?आपने किसी वस्तु को देखते समय उसके चारों ओर इंद्रधनुषी रंग बिखरे देखे है?क्या आँखों पर जोर के साथ आपको मिचली भी आती है? ये ग्लूकोमा के लक्षण हो सकते है,जो दुनिया में अंधेपन का दूसरा सबसे आम कारण है, ऐसा अंधापन जिसे रोका जा सकता है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो आईज ऑप्टिक नर्व यानि आंखों की एक ऐसी तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है, जो मस्तिष्क से जुड़ती है और जिससे हमें देखने में मदद मिलती है. ग्लूकोमा आंख में बढ़े हुए दबाव से संबंधित हो सकता है, जिसे इंट्राओकुलर प्रेशर के रूप में जाना जाता है.
ग्लूकोमा के रोगी अधिक
इस बारें में भोपाल के एएसजी आई हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.नेहा चतुर्वेदी कहती है कि बढ़ती उम्र के साथ ये रोग बढ़ता है और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ग्लूकोमा के लिए सबसे अधिक संवेदनशील होते है. यह अनुमान है कि भारत में 40 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 1.1 करोड़ रोगी है, जिसमें वृद्ध लोगों में ग्लूकोमा अधिक दिखाई पड़ा है, वहीं अलग-अलग आयु वालों के लिए इस बीमारी का नाम भी अलग ही है.
- नवजात शिशु में इस बीमारी के होने पर इसे ’जन्मजात ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
- कम उम्र (3-10 वर्ष) में इसे ’विकासात्मक ग्लूकोमा’ कहा जाता है,
- ‘किशोर ग्लूकोमा’ 10-40 वर्ष की आयु के बीच के समूह को होने वाले ग्लूकोमा को कहा जाता है. .
होती है कई बार वंशानुगत