युवाओं और बच्चों में तेजी से फैलती फास्ट फूड की संस्कृति ने घर के खाने से मिलने वाले पोषक तत्वों को उनसे छीन लिया है, जिससे युवाओं और बच्चों में स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएँ हो रही हैं. कुछ दशकों पहले की तुलना में आजकल बच्चों और किशोरों में मोटापा एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसके अलावा, महामारी ने पहले से मौजूद कठिन परिस्थति को और भी बढ़ाने का काम किया है. वायरस को बढ़ने से रोकने के लिये घरों में रहने के आदेश ने गंभीर रूप से लोगों के बाहर निकलने को सीमित कर दिया और परिवारों के लिये कई सारी परेशानियाँ लेकर आया, जिनमें मोटापा और ज्यादा वजन शामिल है, खासकर बच्चों में. स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई होने से बच्चों के खानपान, एक्टिविटी और सोने के पैटर्न पर काफी प्रभाव पड़ा.

डॉ. निशांत बंसल, कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा का कहना है कि खाने-पीने की पैकेटबंद चीजें और सुविधाजनक खाने से भी वजन में अस्वास्थ्यकर वृद्धि हो रही है. बच्चों में मोटापे के लिये पेरेंट्स का खाना नहीं बना पाना या सेहतमंद खाना नहीं पका पाना, इसका बहुत बड़ा कारक रहा. ज्यादातर बच्चे शरीर और दिमाग पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को जाने बिना, कैंडीज और सॉफ्ट ड्रिंक्स के रूप में काफी सारा शक्कर लेते हैं.

समय की कमी-

बच्चों के मोटापे में शारीरिक गतिविधि और खेलने के समय में कमी का भी योगदान है. यदि कोई व्यक्ति कम ऐक्टिव है तो उनका वजन बहुत तेजी से बढ़ जाता है, चाहे वे किसी भी उम्र के हों. एक्सरसाइज करने से कैलोरी जलाकर सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद मिलती है. मैदान पर खेलने का समय और बाकी एक्टिविटीज से बच्चों को ज्यादा कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है, लेकिन यदि आप ऐसा करने के लिये प्रेरित नहीं करते हैं तो हो सकता है वे ऐसा नहीं करें. वर्तमान दौर में बच्चे आमतौर पर कंप्यूटर, टेलीविजन या गेमिंग स्क्रीन पर अपना समय बिताते हैं, क्योंकि समाज कहीं ज्यादा असक्रिय हो गया है. पहले के दिनों की तुलना में अब बहुत कम बच्चे ही साइकिल चलाकर स्कूल जाते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...