हमारे देश में ब्रैस्ट में होने वाली गांठ को ले कर 2 तरह की प्रतिक्रियाएं आम हैं. पहली या तो लोग उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं और दूसरी या एकदम से दहशत में आ जाते हैं. दोनों ही स्थितियों में जागरूकता का अभाव है. भारत में महिलाओं की मौत के सब से बड़े कारणों में से ब्रैस्ट कैंसर एक है. हाल ही के एक अध्ययन से पता चलता है कि बीमारी के प्रसार का यह स्तर 1 लाख महिलाओं में से 25.8% में है और इस में मृत्यु दर प्रति 1 लाख पर 12.7% है, बावजूद इस के महिलाओं के बीच इस जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूकता बेहद कम है.

जागरूकता की कमी

मेदांता द मैडिसिटी की रेडियोलौजी विभाग की ऐसोसिएट डाइरैक्टर, डा. ज्योति अरोड़ा कहती हैं, ‘‘जागरूकता की कमी की वजह से पीडि़त लाखों महिलाएं न तो वक्त पर जांच कराती हैं और न ही इलाज. ब्रैस्ट कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षणों में से एक है गांठ बनना. लेकिन आज भी बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं, जो पढ़ीलिखी और जागरूक वर्ग की नहीं हैं, इसलिए वे ब्रैस्ट में गांठ को नहीं पहचान पाती हैं. दूसरी तरफ जो महिलाएं इस बारे में जागरूक हैं उन में भी अधिकतर यह समझ नहीं पाती हैं कि ब्रैस्ट में गांठ के 10 में से 8 मामलों का संबंध कैंसर से नहीं होता है. उन के लिए तो ब्रैस्ट की गांठ कैंसर का ही दूसरा नाम है और अगर उन्हें अपनी ब्रैस्ट में कोई गांठ दिख जाए तो वे मान लेती हैं कि अब उन के जीवन का अंत करीब है. अब जांच करा के क्या फायदा.’’

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