पार्किंसंस की समस्या

मैं 42 साल का इंजीनियर हूं और काम की वजह से मुझे पूरा दिन कंप्यूटर पर ही बिताना पड़ता है. वैसे तो मैं स्वस्थ हूं और मेरा वजन भी सामान्य है, लेकिन कुछ दिनों से मेरे बाएं हाथ की उंगलियों में कंपकंपाहट महसूस हो रही है. क्या ऐसा होना बहुत ज्यादा बैठे रहने के कारण नसों के दबने की वजह से है या फिर ये पार्किंसंस बीमारी के लक्षण हैं?

जैसा कि आप ने बताया कि आप का काम सारा दिन कंप्यूटर पर बैठना है, तो कई बार ऐसा होता है कि एक ही स्थिति में ज्यादा समय तक बैठे रहने की वजह से नसें दब जाती हैं, जिस से दर्द जैसी समस्या होने लगती है. लेकिन अगर आप को हाथ और उंगलियों में कंपकंपाहट लगातार हो रही है, तो आप तुरंत डाक्टर से परामर्श लें.

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मैं 47 साल की घरेलू महिला हूं. पिछले कुछ समय से मुझे बाएं पैर में अकड़न महसूस हो रही है और मुझे खुद को संतुलित रखने में भी दिक्कत हो रही है. अगर इस बीमारी का इलाज हो सकता है, तो मुझे कौन सी थेरैपी या इलाज कराना चाहिए और इलाज के क्या साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं?

ये लक्षण पार्किंसंस बीमारी से जुड़े हुए हैं. इस बीमारी का इलाज हो सकता है. आप न्यूरोलौजिस्ट से परामर्श लें. अगर बीमारी शुरुआती स्टेज पर है तो दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन अगर यह स्थिति ऐडवांस स्टेज पर है तो डीबीएस बेहतर व कारगर उपाय है. इस थेरैपी के साइड इफैक्ट्स बहुत कम हैं. दवाओं के साइड इफैक्ट्स ज्यादा होते हैं, लेकिन इस थेरैपी के बाद बहुत कम दवाएं लेनी पड़ती हैं, जिस से साइड इफैक्ट्स कम हो जाते हैं.

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मेरी मां 66 साल की घरेलू महिला हैं. उन्हें सिर में कभी कोई चोट नहीं लगी और उन के साथ कभी कोई दुर्घटना भी नहीं हुई. लेकिन कुछ समय से उन्हें पार्किंसंस बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं. जैसे चलते समय कंपकंपाहट महसूस होना और लिखने में दिक्कत होना. क्या इस उम्र में बिना किसी शारीरिक चोट के पार्किंसंस बीमारी होना संभव है? क्या हमें न्यूरोलौजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए या फिर ये सिर्फ कमजोरी के लक्षण हैं?

पार्किंसंस को बुजुर्गों की बीमारी ही कहा जाता है और यह बीमारी आमतौर पर 60 साल के बाद होती है. आप की मां को लिखने में दिक्कत और चलने में परेशानी हो रही है तो ये लक्षण पार्किंसंस बीमारी की हैं और यह जरूरी नहीं है कि सिर पर चोट लगने या दुर्घटना होने से ही पार्किंसंस बीमारी होने की संभावना रहती है. इसलिए समय रहते आप अपनी मां को न्यूरोलौजिस्ट को दिखाएं.

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मेरे पिताजी 63 साल के रिटायर बैंक मैनेजर हैं. उन्हें पहली बार पार्किंसंस बीमारी के लक्षण 59 साल की उम्र में महसूस होने लगे थे, जिस वजह से उन्होंने जल्दी रिटायरमैंट ले लिया. पहले उन की दाएं हाथ की उंगलियों में कंपकंपाहट थी और बीमारी का पता चलते ही उन की दवा शुरू हो गई थी, लेकिन अब समय के साथ उन की स्थिति ज्यादा ही खराब होती जा रही है. आजकल वे एकदम अकड़न की स्थिति में आ जाते हैं और उन्हें चलने में दिक्कत होने लगती है. दवाओं का उन पर कुछ असर नहीं हो रहा. क्या कोई और इलाज संभव है?

अगर आप के पिताजी पर दवाएं असर नहीं कर रहीं तो आप डीप बे्रन स्टिमुलेशन (डीबीएस) थेरैपी करवा सकते हैं. डीबीएस थेरैपी से पार्किंसंस बीमारी की परेशानियों जैसे कंपकंपाहट, अकड़न और चलने में दिक्कत वगैरह का इलाज किया जा सकता है, इसलिए डाक्टर से परामर्श ले कर आप अपने पिताजी का डीबीएस करवा सकते हैं.

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मेरे 12 साल के बेटे को पार्किंसंस बीमारी है. बचपन से ही उस की दवाएं चल रही हैं, लेकिन वे कोई खास असर नहीं कर रहीं. मैं ने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन थेरैपी के बारे में सुना है. क्या वह सुरक्षित व कारगर है? क्या मैं अपने बेटे को यह थेरैपी करवा सकती हूं?

जब दवाएं काम करना बंद कर देती हैं, तो रोगी के लिए डीप बे्रन स्टिमुलेशन ही एकमात्र विकल्प बचता है. यह सुरक्षित व कारगर थेरैपी है. इसे करवाने से न सिर्फ दवाएं कम हो जाती हैं, दवाओं के साइड इफैक्ट्स भी कम हो जाते हैं और लक्षणों पर भी नियंत्रण हो जाता है. आप डाक्टर से परामर्श ले कर यह थेरैपी करवा सकती हैं.

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मुझे डीप ब्रेन स्टिमुलेशन थेरैपी के बारे में जानना है. मेरे दादाजी 69 साल के हैं और वे आर्मी से रिटायर हैं. हमें इस थेरैपी की सलाह दी गई है, लेकिन सर्जरी को ले कर हम थोड़ा आशंकित हैं. उन्हें बाएं पैर में कंपन की वजह से चलने में दिक्कत है, लेकिन हमें डर है कि कहीं सर्जरी के बाद उन की स्थिति ज्यादा न बिगड़ जाए. आप बताएं हमें क्या करना चाहिए?

डप बे्रन स्टिमुलेशन थेरैपी बेहद कारगर और सुरक्षित तकनीक है. इस थेरैपी में एक छोटा सा पेसमेकर जैसा उपकरण इस्तेमाल किया जाता है, जो दिमाग के उन हिस्सों को तरंगित करता है, जो पार्किंसंस के लक्षणों की गतिविधियों से जुड़े होते हैं. ये तरंगें उन सभी दिमागी कोशिकाओं के मैसेज को बंद कर देती हैं, जो लक्षणों को उत्पन्न करते हैं. इस उपकरण को छाती की त्वचा के अंदर लगा दिया जाता है और बहुत पतली तार से उपकरण को दिमाग के साथ जोड़ा जाता है. आप निश्चिंत रहें. अगर डाक्टर ने आप को डीबीएस की सलाह दी है, तो आप इसे करवा कर अपने दादाजी के पार्किंसंस के लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं.   

– डा. संदीप वैश्य
डायरैक्टर, न्यूरोसर्जरी, फोर्टीज मैमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुड़गांव

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