चैंबर औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, भारत में हर
4 में से 3 महिलाएं किसी न किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रही हैं. वहीं मल्टीटास्किंग सीरियसली अफैक्टिंग कौरपोरेट वूमन हैल्थ नाम के सर्वे से पता चलता है कि 78% कामकाजी महिलाएं शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं. अध्ययन के मुताबिक अनियमित दिनचर्या और खराब जीवनशैली के कारण 42% महिलाओं को मोटापे, डिप्रैशन, पीठ दर्द, हृदय से जुड़ी बीमारियां और हाइपरटैंशन की शिकायत रहती है. 22% महिलाएं क्रोनिक डिजीज की शिकार हैं.
मैक्स हौस्पिटल, दिल्ली की कंसलटैंट न्यूट्रिशनिस्ट डाक्टर मंजरी कहती हैं, ‘‘अर्बन सैटिंग की महिलाओं के साथ 3 तरह की समस्याएं हैं. पहली यह कि वे वर्किंग हैं, इसलिए उन के पास समय की बहुत कमी है. अपने स्वास्थ्य पर उन का बिलकुल ध्यान नहीं होता. दूसरी, आज की महिलाएं बहुत ज्यादा ब्यूटी कौंशस हैं. स्किन टैनिंग न हो जाए, इस के लिए वे धूप में निकलने से घबराती हैं. इसलिए उन में विटामिन डी की भी बहुत कमी होती है. तीसरी समस्या यह है कि आज की महिलाएं बहुत ऐजुकेटेड हैं, इसलिए वे सिर्फ उसी बात को सही मानती हैं, जो उन्हें सही लगती है.
‘‘मगर यह कहना भी सही नहीं होगा कि वर्किंग होना और ऐजुकेटेड होना गलत है, लेकिन काम के साथसाथ खुद के लिए समय निकालना भी जरूरी है और अपनी ऐजुकेशन का सही इस्तेमाल करना उस से भी ज्यादा जरूरी.
‘‘दरअसल, आज की मौडर्न महिलाएं इंटरनैट पर ही देख लेती हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए क्या खाना चाहिए और फिर उसी हिसाब से अपनी डाइट प्लान कर लेती हैं. जबकि यह गलत तरीका है. इंटरनैट पर एक ही चीज पर लोगों के अलगअलग विचार होते हैं और जरूरी नहीं कि वे आप के लिए हों और आप के बौडी टाइप को सूट करें. हो सकता है आप पर उस का विपरीत असर पड़े. इसलिए जरूरी है कि समयसमय पर कंसलटैंट से अपना डाइट प्लान बनवाया जाए.
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