30 वर्षीय सुमित एक कौरपोरेट कंपनी में काम करता था, एक दिन अचानक औफिस पहुंचकर तबियत खराब हो जाने पर उसे और उसके सहयोगियों को समझ नहीं आया कि क्या करें, पहले तो उसे लगा कि अधिक काम और तनाव लेने की वजह से उसे ऐसा महसूस हो रहा है, थोडा आराम करने पर ठीक हो जायेगा, लेकिन जब उसकी ‘अनइजीनेस’ कम होने के वजाय बढ़ने लगी, तो उसके सहयोगियों ने उसे पास के अस्पताल में ले जाना सही समझा, लेकिन वहां पहुंचने के पहले ही उसने दम तोड़ दिया.

ये घटना चौंकाने वाली तब थी, जब डौक्टर ने कहा कि इस दो से तीन घंटे के समय में उसे कई बार दिल का दौरा पड़ चुका है. ये सही है कि इस उम्र में ऐसी घटना हर किसी के लिए सोचने वाली हो सकती है, क्योंकि न तो सुमित बीमार था और न ही वह कोई दवा ले रहा था. शारीरिक रूप से भी वह हट्टा-कट्टा था.

इस बारें में मुबई के ‘सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर’ के कार्डियो सर्जन डॉ.विपिनचंद्र भामरे कहते है कि आजकल के जौब जिसमें तनाव को लेकर घंटों बैठकर काम करने की वजह से युवाओं में दिल की बीमारी बढ़ी है. यहां यह समझना जरुरी है कि कैसा तनाव जानलेवा हो सकता है.

असल में तनाव दो तरह के होते हैं, एक्यूट और क्रोनिक स्ट्रेस. क्रोनिक स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति में हार्मोनल बदलाव होते है, जिससे हाइपरटेंशन,डायबिटीज और दिल की बीमारी होती है. ऐसे में 30 साल की उम्र वाले व्यक्ति जिसने काफी समय तक तनाव को झेला है, साथ ही वह व्यक्ति एक स्थान पर बैठकर काम करता है, तो उसमें कोरोनरी हार्ट अटैक की संभावना अधिक बढ़ जाती है. एक्यूट स्ट्रेस अधितर व्यस्कों में होता है, जो उम्र की वजह से अपने आप को संभाल नहीं पाते और तनाव में जीते हैं.

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