शरीर में इंसुलिन नाम के हार्मोन के कम बनने से डायबिटीज होती है. ज्यादातर लोगों को सामान्य जांच के दौरान डायबिटीज होने का पता चलता है तो उन्हें धक्का पहुंचता है. डायबिटीज उतनी आम नहीं है, लेकिन यह ज्यादातर कम उम्र के लोगों को होती है. इस रोग से पीड़ित रोगियों को शुरू से ही इंसुलिन लेना पड़ता है.
मधुमेह या डायबिटीज के मरीज को हृदय संबंधी रोग के साथ-साथ कम उम्र में स्ट्रोक का खतरा भी पैदा हो जाता है. इसमें सबसे आम है टाइप-2 डायबिटीज. उसके बाद है टाइप-1 जेस्टेशनल डायबिटीज.
लक्षण
खून में शर्करा का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ने पर वजन घटना
बहुत अधिक प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना आदि
टाइप-2 डायबिटीज
देश की 10 फीसदी आबादी को टाइप-2 डायबिटीज है. इलाज न करने पर इसके कारण आंखों, गुर्दे और नसों पर असर पडऩे लगता है.
धमनियां जल्दी बूढ़ी होने लगती हैं और ब्रेन स्ट्रोक के साथ दिल का दौरे की आशंका रहती है.
पैरों की ओर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और पैर काटने तक की स्थिति भी आ जाती है.
इसलिए चेतावनी के शुरुआती संकेतों को समझना जरूरी है. मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप, बढ़ा हुआ लिपिड, मूत्र, शर्करा का असामान्य स्तर, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास है या पालिसिस्टिक ओवरी रोग या गर्भावस्था की स्थिति है तो डायबिटीज की जांच जरूर करवानी चाहिए.
गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज
महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज के टाइप-2 डायबिटीज में बदलने का अंदेशा रहता है.
डायबिटीज के इलाज
डायबिटीज के इलाज के लिए रहन-सहन में बदलाव, खानपान में संयम, कसरत के अलावा गोलियां/ इंजेक्शन या इंसुलिन लेना जरूरी है.
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