पश्चिमी अफ्रीका के 3 देशों लाइबेरिया, सियरालियौन और नाइजीरिया में इन दिनों इबोला वायरस का संक्रमण काफी तेजी से फैला हुआ है. इन देशों में करीब 1 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु इबोला की वजह से हो चुकी है.
इस वायरस ने पूरी दुनिया में चिंता की लहर दौड़ा दी है. इसलिए कहीं भी अगर कोई व्यक्ति उन देशों से आता है, तो उस की पूरी जांच की जाती है. इस के बारे में हील फाउंडेशन के तहत नैशनल हैल्थ राइटर्स ऐंड एडीटर्स कनवैंशन के सेमिनार में आए
डा. सौमित्र रावत का कहना था कि इबोला जानलेवा है पर यह हवा में नहीं फैलता. यह ब्लड ट्रांसमीटेड डिजीज है. यह एचआईवी की तरह ही है. इस में वायरल फीवर होने की वजह से सभी बड़ेबड़े बौडी और्गन जल्दी फेल होने लगते हैं और मरीज को बचाना असंभव हो जाता है. इसलिए जो भी व्यक्ति उन देशों में जाता है उसे सावधानी बरतनी जरूरी है. यह संक्रमण हवा के जरीए नहीं फैलता.
इबोला के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण अन्य कई वायरल फीवर की तरह ही होते हैं और इस की अवधि 2 से 21 दिनों तक की होती है. लक्षणों की शुरुआत के बाद लगभग 5वें दिन के आसपास त्वचा पर लाललाल चकते होेने लगते हैं.
कुछ अन्य लक्षण निम्न हैं:
– तेज बुखार.
– जी मचलना.
– उलटी होना.
– गले में खराश.
– सीने में दर्द.
– पेट दर्द और दस्त का होना.
इस के लक्षण तेजी से बढ़ते जाते हैं जिस से पीलिया, तेजी से वजन का घटना, मल्टी और्गन फैल्योर आदि हो जाना प्रमुख हैं. इबोला से अधिकतर ब्रेन हैमरेज होता है. इस बारे में मुंबई फोर्टिस हौस्पिटल के संक्रमित बीमारी का इलाज करने वाले डाक्टर प्रदीप शाह बताते हैं कि इबोला के मरीज अभी तक भारत में पाए नहीं गए. जो भी केस संदेहजनक था उसे इबोला नहीं था. अफ्रीका के पिछड़े देशों में यह अधिक हो रहा है, क्योंकि वहां सैक्स कौमन है और साफसफाई अच्छी नहीं है.
परीक्षण
इबोला के इलाज के लिए निम्न परीक्षण आवश्यक है:
– ऐंटीबौडी कैप्चर ऐंजाइम लिंक्ड इम्युनोसोरबेंट ऐसे (इलिसा).
– ऐंटी डिटैक्शन टैस्ट.
– सीरम न्यूट्रोलाइजेशन टैस्ट.
– रिवर्स ट्रांस्किप्टस पोली मर्से चेन रिऐक्शन ऐसे.
– इलैक्ट्रोन माइक्रोस्कोपी.
– वायरस आईसोलेशन बाई सेल कल्चर.
एक बार इस वायरस का संक्रमण हो जाने पर मरीज के बचने की उम्मीद कम रह जाती है क्योंकि मरीज का तेज बुखार उस के दिमाग पर प्रभावित करता है. 90% मरीज बच नहीं पाते, लेकिन जिस की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, वह व्यक्ति बच सकता है.
– यह आम फ्लू या टीबी की तरह हवा में नहीं फैलता. इस से बचने के उपाय निम्न हैं:
– मरीज के रक्त, पसीना या उलटी के जरीए निकले पदार्थ से दूर रहें.
– इबोला संक्रमित व्यक्ति के कै और दस्त से भी दूर रहें.
डा. प्रदीप आगे बताते हैं कि इस के वैक्सीन पर काम चल रहा है और उम्मीद है कि कुछ दिनों में इस के वैक्सीन मिलने लगेगा. प्रायोगिक वैक्सीन वानरों पर प्रयोग किए जा रहे हैं जिस के परिणाम अच्छे मिल रहे हैं.