दिल की बिमारियों को सबसे घातक बीमारियों में गिना जाता है और भारत में मृत्युदर का एक प्रमुख कारण माना जाता है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 5 में से एक पुरुष और 8 में से एक महिला दिल की बीमारियों के चलते अपनी जान गंवा बैठते हैं. प्रगतिशील दिल की विफलता, रक्त वाहिकाओं की धमनी में वसा की परत जमने के कारण होता है. इसके लिए जीवनशैली की आदतें, धूम्रपान, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च-रक्तचाप और डायबिटीज़ को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है.
एक समय में हार्ट अटैक केवल बुढ़ापे से संबंधित हुआ करता था. लेकिन हालिया हालात ऐसे हैं कि 20, 30 और 40 की उम्र वाले लोग भी दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. आमतौर पर आनुवंशिकता और पारिवारिक इतिहास को सबसे आम और नियंत्रित न हो पाने वाले कारक माने जाते हैं. लेकिन आज, इनके अलावा कई कारणों से भारतीय युवा हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं. इन कारणों में खराब जीवनशैली, तनाव, सही समय और सही मात्रा में न सोना आदि शामिल हैं. परिणास्वरूप, सूजन की समस्या होती है जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती है. गतिहीन जीवनशैली के साथ धूम्रपान से युवा पीढ़ी में हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है.
हर दिन लगभग 9000 लोग दिल की बीमारियों से मरते हैं, जिसका मतलब है हर 10 सेकेंड में एक मौत. उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं. भारत में हृदय रोगों की महामरी को रोकने का एकमात्र तरीका जनता को शिक्षित करना है अन्यथा 2020 तक हालात बद से बद्तर हो जाएंगे.