आज के समय में बढ़ती उम्र के बावजूद बहुत सी महिलाएं ‘अभी तो मैं जवान हूं...’ गुनगुनाती दिख जाती हैं. ऐसी महिलाओं में उन महिलाओं की संख्या ज्यादा है, जो अपनी उम्र के 50 वसंत देख चुकी हैं फिर भी उन की जवानी है कि ढलने का नाम ही नहीं लेती. महिलाओं की इस जमात का हर कोई जवान दिखने के लिए अलगअलग टोटका आजमाता है. कोई अपने विचारों में युवाओं जैसा खुलापन लाने की कोशिश करता है, तो कोई युवा दिखने के जनून में दर्जनों ब्यूटी ट्रीटमैंट से अपनी कायापलट करा लेता है.

जवान दिखने के माने हैं अलग

आज के समय में कोई भी बूढ़ा दिखना नहीं चाहता. खासकर महिलाएं तो बिलकुल नहीं. वे जवान दिखने के लिए खुद को ‘अपटुडेट’ रखती हैं. ये ऐसी महिलाएं होती हैं जिस का ज्यादातर समय सोसाइटी की दूसरी महिलाओं के साथ क्लब या किट्टी पार्टी में बीतता है. ऐसी जगह जब दूसरी महिला जवान दिख रही हो तो खुद को टिपटौप रखने का दबाव बढ़ जाता है.

इस बात को स्वीकारते हुए दिल्ली की मुधिता ओमर कहती हैं कि अब सफेद केशों के साथ किट्टी पार्टी और क्लब मीटिंग में कैसे जाया जा सकता है? खुद में कौन्फिडैंस बनाए रखने के लिए यह सब करना पड़ता है.

मुधिता की बात से एक बात तो साबित हो जाती है कि महिलाओं में एकदूसरे से बेहतर दिखने की स्पर्धा होती है और इस स्पर्धा में मिली जीत का नतीजा उन के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी को दर्शाता है.

इस बाबत साइकोलौजिस्ट शिल्पी आस्ता कहती हैं, ‘‘महिलाओं की प्रवृत्ति होती है कि वे छोटीछोटी बातों में इनफीरियोरिटी कौंप्लैक्स की शिकार हो जाती हैं. कोई भी उन में कमी निकाले यह उन्हें बरदाश्त नहीं होता. उन्हें किसी की भी बात बुरी लग सकती है. यहां तक कि अपने बच्चों के नजरअंदाज करने पर भी वे हीनभावना की शिकार हो जाती हैं.’’

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