कालेज लाइफ में युवतियों में एकदूसरे से आगे निकलने की होड़ रहती है. बात चाहे पढ़ाई की हो, सुंदरता की हो या फिर हौट दिखने की, खुद को सब से बेहतर साबित करने के लिए युवतियां हरसंभव प्रयास करती हैं.
खुद को फिट रखने के लिए जहां जिम जौइन करती हैं, पार्कों में अकसर सुबह फिटनैस के तमाम उपाय अपनाती दिखती हैं, वहीं सुंदर लुक के लिए डिजाइनर कपड़े पहनती हैं. मौडर्न ड्रैसेज, मिड्डी, शौर्ट्स, जैगिंग्स का उन का सलैक्शन लाजवाब होता है. उन्हें लगता है कि बस वे सब पर छा जाएं. इस से उन के दोस्त बनेंगे जिस से वे अपने ग्रुप के साथसाथ अपने कालेज में भी चर्चित होंगी.
युवतियां अपने बाहरी रंगरूप को संवारने में ही आगे नहीं रहतीं, बल्कि अपनी जानकारी व इंटैलिजैंसी का लोहा मनवाने के लिए भी एकैडमिक रिजल्ट को सही रखने के साथसाथ तमाम कालेज ऐक्टिविटीज में बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं.
स्मार्ट दिखने, आगे रहने, ऐक्टिविटीज में भाग लेने व खुद को ऐनर्जैटिक रखने के ये तमाम प्रयत्न कालेज लाइफ खत्म होते ही डंप हो जाते हैं और उन की दिनचर्या में ढीलापन व सुस्ती हावी हो जाती है.
आखिर ऐसा क्यों होता है कि कालेज खत्म होते ही युवतियों के स्वभाव में चेंज आने लगता है. ये ढीलापन ड्रैस सैंस में, फिटनैस में, नौलेज में, बात करने के तरीके में भी स्पष्ट झलकने लगता है. कारण बताते हुए आकांक्षा कहती है कि कालेज लाइफ के बाद भी ऐसा लगने लगता है कि हम ने न तो ड्रैस फ्रैंड्स को दिखानी है और न ही अपना लुक. सिर्फ घर में ही तो रहना है इसलिए अब तो नाइट सूट में ही पूरे दिन मजे से रहो. जब चाहे सो कर उठो, जो मरजी खाओ, जितना चाहे टीवी देखो, पढ़ो या नहीं पढ़ो, सब अपनी मरजी के अनुसार होता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन