पाइल्स की समस्या एक आम बीमारी है, जो सालों से चली आ रही है, लेकिन आज की जीवन शैली ने इसे
और अधिक बढ़ा दिया है. इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह नियमित वर्क आउट न करना और जंक फ़ूड का अधिक से अधिक सेवन करना है. इसलिए नियमित व्यायाम और घर के पौष्टिक फाइबरयुक्त भोजन करना ही इस बीमारी का निदान है. इस बारें में दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. विनय सभरवाल का कहना है कि सर्दियों के मौसम में ये बीमारी और अधिक बढ जाती है, क्योंकि ठण्ड की वजह से लोग घर से कम निकलते है और पानी भी कम पीते है. खासकर महिलाएं इसे बताने से भी कतराती है. लॉक डाउन के दौरान करीब 50 प्रतिशत यूथ पाइल्स के शिकार पाए गए है, क्योंकि उनका मूवमेंट कम हो चुका है.
असल में पाइल्स एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है, इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और दर्द भी होता है. कभी-कभी जोर लगाने पर ये मस्से बाहर की ओर आ जाते है. अगर परिवार में किसी को ऐसी समस्या रही है, तो बच्चो को यह समस्या हो सकती है.
पाइल्स फिशर और फिस्टूला , दोनों ही एनस की विकृति है. एनस अंतिम छिद्र है, जिसमें से मल उत्सर्जित होता है. यह 4-5 सेमी लंबा होता है. गुदा के टर्मिनल हिस्से में संवेदनशील नर्व होते है, जो रक्त वाहिकाओं से घिरे होते है. इसके अलावा एनस के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती है, जिनमें संक्रमण होने की वजह से छोटी-छोटी फुंसियाँ हो जाती है, जिससे मवाद निकलने लगता है. मोटापा या लंबे समय तक एक जगह पर बैठने से यह समस्या हो सकती है.
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