सेक्स शादीशुदा लोगो के लिए उनके रिश्ते में मजबूती देने में एक अहम भूमिका निभाता है. यह हमारी पर्सनल लाइफ के साथ साथ शारारिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में बेहद कारगर सिद्ध होता है लेकिन आज के समय का लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है की लोग अपनी व्यस्तता के चलते सेक्स को तवज्जो नहीं देती और सेक्स को सिर्फ वंश बढ़ाने का उद्देश्य मनने लगते हैं तो कुछ महिलएं कामकाजी होने के कारण अपने काम को प्राथमिकता देना पसंद करती है और थकान के कारण सेक्स करने से बचने लगती हैं लेकिन एक स्टडी में पाया गया है की सेक्स हमारे काम करने की क्षमता को बढ़ता है और जो महिलाऐं सेक्स करने से बचती है उन में तनाव की बढ़ोतरी होती है देखा जाए तो पुरुष सेक्स के मामले में महिलाओं से अधिक रूचि रखतें हैं और महिलाऐं कम अहमियत देती हैं इस कारण महिलाओं में मेनोपॉज़ की समस्या उम्र से पहले होने लगती है.
मेनोपॉज़ होने का कारण
जिस तरह किशोरावस्था यानि 12 से 15 कि उम्र में महिलाओं के पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. पीरियड्स का होने का संकेत है कि महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगे है और अब वह गर्भधारण करना चाहे तो अब वह इस के लिए शारारिक रूप से तैयार होने लगी है लेकिन 45 कि उम्र के बाद महिलाओं में पीरियड्स बंद होने लगते है जिसे मेनोपोज़ कहा जाता है इसे रजोनिवृत्ति भी कहते हैं. लेकिन अब देखा जा रहा है कि जो महिलाएं सेक्सुअली कम एक्टिव होती हैं, उनको 35 की उम्र में ही मेनोपोज़ कि समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कम सेक्स करने के कारण उनका शरीर ओव्यूलेशन बंद करने के जल्दी संकेत देने लगता है, जिसके कारण उनका मेनोपॉज़ समय से पहले हो जाता है. सेक्स कि कमी के कारण प्रजनन की प्रक्रिया में कमी आने लगती है जिस कारण अंडों का बनना बंद होने लगता है , इसलिए ओवरी प्रजनन की क्षमता बिल्कुल खो देती है।और मेनोपॉज़ हो जाता है.
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