कोलोरैक्टल कैंसर (सीआरसी) बड़ी आंत का कैंसर होता है. यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट का एक अलग हिस्सा होता है. बड़ी आंत की लगभग सभी कैंसर कोशिकाओं के छोटे गुच्छे या समूह के तौर पर बनने शुरू होते हैं, जिन्हें एडेनोमेटस पौलिप्स कहा जाता है. हालांकि, इन पौलिप्स को कैंसर में बदलने में काफी साल लग जाते हैं.
सीआरसी दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला तीसरा और पुरुषों में चौथा सब से आम कैंसर है. हालांकि, दुनियाभर में भौगोलिक क्षेत्रों के आधार पर इस में अंतर देखा जाता है. आधे से अधिक सीआरसी के मामले विकसित देशों में देखे गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य संसाधनों के अभाव की वजह से सीआरसी से होने वाली सर्वाधिक मौतें ज्यादातर अल्पविकसित देशों में होती हैं. भारत में ऐसे कैंसर के मामले समृद्ध पश्चिमी देशों की तुलना में करीब 7 से 8 गुना कम होते हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से भारत में भी सीआरसी के मामले बढ़ रहे हैं.
लक्षण व संकेत
इस कैंसर के अभी तक कोई विशिष्ट लक्षण व संकेत नहीं मिले हैं. कुछ ऐसे लक्षण हैं जो इस बीमारी के संदेह को बढ़ाते हैं, जैसे कि मल में रक्त या आंव का आना, मलत्याग की आदतों में बदलाव (मलत्याग में कठिनाई, दस्त या कब्ज), लगातार पेट से संबंधित परेशानियां, जैसे दर्द, ऐंठन और अप्रत्याशित वजन का घटना, एनीमिया, थकान, आंत का अवरुद्ध होना, खासतौर पर वृद्धावस्था में.
कारण
अधिकांश मामलों में यह स्पष्ट नहीं होता कि कोलोनिक कैंसर के क्या कारण हैं. क्रोलोन कैंसर वैसी स्थिति में होता है जब बड़ी आंत की लाइनिंग कोशिकाओं में आनुवंशिक ब्लूप्रिंट (डीएनए) में परिवर्तन होता है. आनुवंशिक परिवर्तन नए सिरे (अधिकांश मामलों में) से उत्पन्न हो सकते हैं. यह जन्मजात और परिवार से आनुवंशिक तौर पर भी हो सकता है. ये जन्मजात जीन म्यूटेशंस कैंसर का अपरिहार्य कारण नहीं बनते हैं लेकिन कैंसर के खतरे को काफी बढ़ा देते हैं.