भारत में हर वर्ष करीब 1,60,00 महिलाओं में स्त्री रोग संबंधी कैंसर का पता चलता है. सब से व्यापक सर्वाइकल कैंसर है लेकिन इस के अन्य प्रकार भी हैं- अंडाशय, गर्भाशय, योनी या जननांग संबंधी. कैंसर की वजह से ज्यादातर मौतें गैरजरूरी रूप से लक्षणों व जांच की जरूरत के बारे में जागरूकता की कमी के चलते होती हैं. ऐसे में इन कैंसरों के बारे में अपनी समझ को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की जरूरत है.
क्या है कैंसर
कैंसर एक भयावह शब्द है लेकिन इसे अच्छी तरह समझा नहीं जाता है. कैंसर शब्द का प्रयोग बीमारियों के एक संग्रह को परिभाषित करने के लिए किया जाता है जिस में एक अनोखी बात होती है-कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि जिस में शरीर के अन्य हिस्से तक फैलने की क्षमता होती है. प्रसूति संबंधी कैंसर महिलाओं के जननांगों से फैलता है. जब कैंसर की शुरुआत अंडाशय से होती है तो इसे अंडाशय के कैंसर के तौर पर जाना जाता है.
अंडाशय का कैंसर
दुनियाभर में महिलाओं को होने वाले कैंसर में 7वां सब से सामान्य प्रकार का कैंसर अंडाशय का कैंसर है. पिछले 2 दशकों के दौरान अंडाशय के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और भारतीय महिलाओं को होने वाला यह तीसरा सब से सामान्य प्रकार का कैंसर बन गया है.
अंडाशय का कैंसर मुख्यरूप से 2 प्रकार का होता है. एपिथेलियल अंडाशय कैंसर अंडाशय की सतह से पैदा होता है और जर्म सैल ट्यूमर अंडाशय के जर्म सैल से निकलते हैं. 85-90 फीसदी कैंसर एपिथेलियल अंडाशय कैंसर होता है और आमतौर पर 50 वर्ष व उस से अधिक उम्र की महिलाओं में पाया जाता है. जबकि जर्म सैल ट्यूमर युवतियों और युवा महिलाओं में पाया जाता है.
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