रश्मिका को बचपन में कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज यानि जन्मजात हृदय रोग था, जिसमे उनके हार्ट में एक छेद था, जिसे डॉक्टर्स ने इलाज किया और अब उसे कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब वह बड़ी हुई, उसके शादी को लेकर समस्या होने लगी, क्योंकि हर लड़के वालों को लगता था कि उसे हार्ट की बीमारी है. शादी के बाद उसका मैरिटल लाइफ अच्छा नहीं होगा.

कई अच्छे-अच्छे रिश्ते टूट गए, इससे रश्मिका को डिप्रेशन होने लगा, उसके पेरेंट्स चिंतित होने लगे, लेकिन एक रिश्ता पक्का हुआ और आज रश्मिका दो बच्चों की माँ है और उसे किसी प्रकार की कोई समस्या हार्ट को लेकर नहीं है और न ही उनके बच्चों को हार्ट सम्बन्धी कोई बीमारी है. दरअसल ये कोई बीमारी नहीं, इसका शादी और बच्चे पैदा होने से कोई सम्बन्ध नहीं होता. ये एक प्रकार का दोष है, जिसका इलाज संभव है.

असल में किसी भी बच्चे के जन्म के समय उसके हार्ट में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी होने पर इस स्थिति को कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज कहा जाता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के दिल की बाहरी परत यानी दीवार, हार्ट वाल्व और ब्लड वैसल्स ज्यादा प्रभावित होते हैं.

इस बारें में मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की पेडिएट्रिक कार्डियोवस्क्युलर कंसलटेंट और सर्जन डॉ स्मृति रंजन मोहंती कहती है कि

गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के ह्रदय के भीतर एक या उससे ज़्यादा संरचनाओं के सामान्य विकास में दोष रह जाने के कारण जन्मजात ह्रदय दोष (सीएचडी)  होता है, यह दोष कई प्रकार के हो सकते हैं मसलन ह्रदय में छेद, अलगअलग कार्डियक संरचनाओं में विकृति या हार्ट चेम्बर्स में रक्त वाहिकाओं के असामान्य कनेक्शन्स ( बड़ी आर्टरीज की जगह बदलना, हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट्स, पल्मनरी वेनस कनेक्शन्स पूरी तरह से विषम होना, एओर्टिक आर्चेस में बाधा, पल्मनरी धमनी से विषम लेफ्ट कोरोनरी आर्टरी, एबस्टिन की विसंगति और अन्य 127 से ज़्यादा तरह के अलगअलग कॉम्बिनेशन्स) इसमें शामिल होते हैं.  जन्मजात का अर्थ यह है कि यह दोष जन्म के समय से ही मौजूद होता है.

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