सभी प्राणियों की आँखे होती है, लेकिन मनुष्य में इसका महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि आखें देखे हुए सन्देश को मस्तिष्क तक पहुंचाती है. ये शरीर की सबसे कोमल अंग होती है, इसलिए इसकी सुरक्षा का ध्यान भी हमेशा रखने की जरुरत होती है.एक शोध के अनुसार लगभग 2 लाख बच्चे भारत में दृष्टिहीन है, जिनमे कुछ को ही दृष्टि मिल पाती है, बाकी को दृष्टि के बिना ही जीवन गुजारना पड़ता है.

कोविड पेंड़ेमिक ने भी आखों पर सबसे अधिक दबाव डाला है, क्योंकि बच्चे से लेकर व्यष्क सभी को आजकल घंटो कंप्यूटर के आगे बैठनापड़ता है, इससे आखों का लाल होना, चिपचिपे म्यूक्स का जमा होना, आँखों में किरकिरी या भारीपन महसूस करना आदि है, जिससे आसुंओं का बनना कम हो जाता है और आखों में सूखेपन का खतरा हो जाता है, जिसे सम्हालना जरुरी है.

श्री रामकृष्ण अस्पताल के डॉ नितिन देशपांडे कहते है किकोविड महामारी की वजह से जीवन शैली में बदलाव आया है, इस दौरान सूखी आंख की समस्या सबसे अधिक है, क्योंकि आँखों का सूखापन एक गंभीर स्थिति है, जिसके परिणामस्वरूप आंखों में परेशानी के अलावा दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती है.आँखों की समस्याएं आज बहुत बढ़ गई है. स्क्रीन टाइम में वृद्धि, पौष्टिक खाने की आदतों में व्यवधान और अनियमित नींद आदि से सूखी आंखों के मामलों में वृद्धि हो रही है. इससे बचने के लिए कुछ उपाय निम्न है,

कमरे के अंदर की हवा के दबाव पर रखें नजर

डॉ.नितिन कहते है कि घर के अंदर या घर पर रहने से ड्राई आईज के मामलों में वृद्धि के साथ-साथ लक्षणों में वृद्धि हुई है. इनडोर एयर क्वालिटी की वजह से भी ड्राई आईज की समस्या बढती है, जो स्क्रीन के सामने काम के साथ शामिल होता है, जिससे आँखों के अंदर का पानी, वाष्पीकरण में परिवर्तित हो जाती है, जिससे आँखें सूख जाती है.

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