जाड़े की कड़ाके की ठण्ड में आदित्य के जन्म के बाद उसके सिर के मध्य भाग में सूखी चमडी जैसे दिखाई पड़ने लगी थी, उसकी माँ उस न्यू बोर्न बेबी को नहलाते समय उसे साफ़ करने की कोशिश करती रही, पर वह निकाल नहीं सकी, उस चमड़े की वजह से उसके केश भी उलझ जाते थे. डॉक्टर से कंसल्ट करने पर पता चला कि ये जाड़े की ठण्ड की वजह से जमा हुआ डेनड्रफ़ है, जिसे शैम्पू से निकाला जा सकेगा और ये कई बार शैम्पू करने के बाद ही धीरे-धीरे निकलेगा. ये सही था, चार-पांच बार शैम्पू करने के बाद स्कैल्प पूरी तरह क्लीन हो गया.
असल में बच्चे की स्किन की देखभाल अलग-अलग मौसम में अलग-अलग तरीके से करनी पड़ती है. सर्दियां शुरू हो चुकी है,इसलिए बच्चे की स्किन की देखभाल में बदलाव करना ज़रूरी है.इस बारें में पुणे की नियोनेटोलॉजी विभागकी प्रोफेसर और प्रमुख डॉ प्रदीप सूर्यवंशी, जो इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) के सदस्य भी है, उनका कहना है कि सर्दियों में हवा ठंडी और शुष्क होती है,जिससे स्किन भी रुखी हो जाती है. छोटे बच्चों की स्किन बड़ों की तुलना में अधिक नाजुक और संवेदनशील होती है, इसलिए छोटे बच्चों की स्किन की नमी कम होने का खतरा सबसे अधिक होता है.साथ ही बड़ों की स्किन की तुलना में नवजात बच्चे की स्किन 30 प्रतिशत पतली होती है, नमी कम होने की वजह से इसमें नैचुरल नमी पैदा करने वाले तत्वों की कमी हो जाती है. सर्दियों में, छोटे बच्चों में शुष्क स्किन, एलर्जी और खुजली होना यह बहुत आम समस्याएं हैऔर इससे निपटने के लिए माता-पिता को अपने बच्चे के स्किन की देखभाल अत्यंत भावनात्मक तरीके से करने की आवश्यकता होती है.
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