मोटापा एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है जिसके कारण कई तरह के क्रोनिक विकार जैसे कि मधुमेह (डायबिटीज़), हृदय रोग (कार्डियोवास्क्युलर डिज़ीज़) और जोड़ों की समस्याएं (बोन ज्वाइंट्स) पनपने लगती हैं. बेहद गंभीर किस्म के मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी एक ऐसे संभावित समाधान के रूप में सामने आयी है जो वज़न घटाने के साथ-साथ स्वास्थ्य में भी सुधार लाने में मददगार है. लेकिन यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बेरियाट्रिक सर्जरी सभी के लिए एक जैसे तरीके से उपयोगी साबित नहीं होती और लंबे समय तक इसकी कामयाबी के लिए अपने लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता होना और लाइफस्टाइल में बदलाव लाना जरूरी होता है.
एक्सपर्ट व्यू
डॉ संजय वर्मा, डायरेक्टर, मिनीमल एक्सेस, जीआई एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्ली बताते हैं कि बेरियाट्रिक सर्जरी में कई तरह की प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है, जिसमें गैस्ट्रिक बायपास, स्लीव गैस्ट्रैक्टमी, और एडजस्टैबल गैस्ट्रिक बैंडिंग प्रमुख हैं. ये प्रक्रियाएं या तो पेट में खाद्य पदार्थों के समाने की क्षमता सीमित करती हैं या न्यूट्रिएंट्स का अवशोषण घटाती हैं. जिसके चलते तेजी से न सिर्फ वज़न कम होता है बल्कि मोटापे से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर होती हैं. इस प्रक्रिया से मरीजों को न केवल ब्लड शुगर कंट्रोल होता है, वरन ब्लड प्रेशर और कलेस्ट्रॉल में भी सुधार होता है और इनसे जुड़े रोगों का जोखिम भी घटता है.
कैसे करती है कार्य
बेरियाट्रिक सर्जरी द्वारा लंबे समय के लिए वज़न कम होने की संभावना के पीछे एक प्रमुख कारण है कि यह भूख को नियंत्रित करती है. इस प्रक्रिया से आंतों और मस्तिष्क के बीच संचार में बदलाव होता है. जिसके परिणामस्वरूप भूख घटती है और मरीज को पेट भरा होने का अहसास बना रहता है. लेकिन बेरियाट्रिक सर्जरी की सफलता मरीज द्वारा स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और उसका पालन करने पर निर्भर करती है. हालांकि सर्जरी के बाद से ही वेट लॉस की शुरुआत हो जाती है लेकिन वजन को बढ़ने नहीं देने के लिए आहार में सुधार, नियमित शारीरिक व्यायाम और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट की आवश्यकता भी होती है.