सभी नवजात शिशुओं में चूसने की अनैच्छिक प्रवृत्ति होती है क्योंकि उनके लिए भोजन और तरल पदार्थों का सेवन करना आवश्यक होता है. कई माता-पिता इस आदत के बारे में चिंतित हो जाते हैं, जबकि यह शिशुओं में एक सामान्य अनैच्छिक क्रिया है. इसे गैर-पोषक चूसने के रूप में भी जाना जाता है, जिसके कुछ सकारात्मक पहलू हैं, जैसे कि यह नवजात शिशुओं को शांति देता है और उन्हें आराम करने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. ज्यादातर बच्चे 2 से 4 साल तक की उम्र में अंगूठा चूसना अपने आप बंद कर देते हैं. बच्चे अगर पाँच साल की उम्र से पहले तक ही ऐसा करते हैं, तो अंगूठा चूसने से आमतौर पर लंबे समय तक समस्याएं नहीं होती हैं.
इस बारे में बता रहे हैं डॉ निशांत बंसल, कंसल्टेंट नियोनैटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा
बच्चे अंगूठा चूसने का सहारा क्यों लेते हैं?
अंगूठा चूसना अधिकांश लत की तरह है, यह सहन या सामना करने की एक तकनीक है. यहाँ तक कि सामान्य बेचैनी या चंचलता में हिलना-डुलना, नाखून काटना, पैर हिलाना, अंगुलियों को मरोड़ना जैसे आदि कार्य करते है, अंगूठा चूसना भी उससे बहुत अलग नहीं हैं. शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए, उनका अंगूठा चूसना स्वाभाविक रूप से आत्म-संतुष्टि और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है.
क्या नहीं करना चाहिए?
अपने बच्चे को अंगूठा चूसने से रोकने के लिए कुछ माता-पिता चरम विधियों का उपयोग करते हैं. कुछ माता-पिता तो बच्चे के अंगूठे को सिरके या मिर्च की चटनी में डुबाने की हद तक भी चले जाते हैं. लेकिन, ऐसे जबर्दस्ती किये जाने वाले तरीकों का प्रयोग करने से बचना सबसे अच्छा है क्योंकि इससे नन्हे बच्चों में विद्रोह की प्रवृत्ति पैदा हो सकती है.
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