कोरोना के डर के काऱण हर कोई अपनी हैल्थ के प्रति ज्यादा कौन्सियस हो गया है. क्योंकि अगर कोरोना से लड़ना है तो अपनी इम्युनिटी को स्ट्रोंग बनाना ही होगा. लेकिन इस बीच लोगों ने मौखिक स्वास्थय की और ध्यान देना बंद कर दिया है. लौक डाउन में जब से वर्क फ्रोम होम के चलन ने जोर पकड़ा है तब से लोग आफिस के चक्कर में खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पा रहे हैं. पहले जो लोग 8 - 9 घंटे आफिस में काम करते थे , अब वे 10 - 12 घंटे आफिस के काम में ही बिजी रहते हैं. जिन बच्चों को पहले मोबाइल, टीवी , कंप्यूटर के आगे से हटाने के लिए पेरेंट्स कोशिशें करते रहते थे, आज उन्हीं बच्चों को वे ऑनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए कंप्यूटर , मोबाइल के सामने बैठा रहे हैं. बड़ों और बच्चों का ऑनलाइन वर्क बढ़ने से उसका दुष्प्रभाव उनके व्यक्तिगत स्वास्थय पर पड़ रहा है.

विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा डाइट व मौखिक स्वास्थय के बारे में जारी 2018 फैक्टशीट के अनुसार अन हैल्थी डाइट की वजह से हैल्थ के साथ साथ दांतों और जबड़े की हैल्थ भी प्रभावित होती है. क्लोव डेंटल के चीफ क्लीनिकल ऑफ़िसर डाक्टर विमल अरोड़ा का मानना है कि अनहैल्थी डाइट में बहुत अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, शुगर व स्टार्च होते हैं और उसमें विटामिन व कैल्शियम की कमी होती है, जिससे दंत रोग हो जाता है , जिसमें कैविटी आदि शामिल है . जो बच्चे की ओवरआल हैल्थ पर प्रभाव डालने का काम करता है.

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