अपनी पूरी जिंदगी हम यह मानते हैं कि कोलेस्ट्रौल दिल से जुड़ी बीमारी का एकमात्र कारण है. वास्तव में यह आम धारणा है कि शरीर में बहुत अधिक कोलेस्ट्रौल हमारे दिल से जुड़ी की धमनियों को अवरुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है, जिस के चलते अकसर सीने में दर्द होता है और चरम पर होने पर दिल का दौरा पड़ता है. बहरहाल, सच्चाई इस से कहीं ज्यादा जटिल है. आइए, सब से पहले एक नजर डालें कि कोलेस्ट्रौल वास्तव में है क्या. यह यकृत (लिवर) द्वारा निर्मित एक वसीय पदार्थ है, जिस का उपयोग शरीर के हजारों कार्यों को करने में मदद के लिए होता है. करीब 75% कोलेस्ट्रौल का उत्पादन लिवर करता है, बाकी हमारे द्वारा खाए गए भोजन से मिलता है. हमारा शरीर कोशिका झिल्लियों (सेल मेम्ब्रेन)के निर्माण में सहायता के लिए इस का इस्तेमाल करता है. इस के बिना हम पर्याप्त हार्मोनल संतुलन बनाए नहीं रख पाएंगे. कोलेस्ट्रौल एक व्यापक पारिभाषिक शब्द है, जो अच्छे कोलेस्ट्रौल और खराब कोलेस्ट्रौल दोनों को दर्शाता है. लोग आमतौर पर कोलेस्ट्रौल शब्द का इस्तेमाल बैड कोलेस्ट्रौल के लिए ही करते हैं, जिसे अकसर दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार एकमात्र कारक माना जाता है. वैसे यह सच नहीं है.

दिल से जुड़ी दिक्कतों के कई कारण होते हैं. ब्लौकेज, सूजन और जलन, खराब जीवशैली, तनाव कुछ ऐसे ही कारण हैं, जबकि दिल से जुड़ी की समस्याओं में कोलेस्ट्रौल का योगदान केवल 30% होता है. इसलिए केवल कोलेस्ट्रौल पर काबू पाने पर फोकस करने के बजाय आदर्श रूप में आप दिल की संपूर्ण देखभाल के लिए समाधानों की तलाश कर सकते हैं और वह भी कम उम्र से ही .

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आप दिल के लिहाज से एक सेहतमंद जीवनशैली अपना कर दिल से जुड़े रोगों की रोकथाम कर सकते हैं. आप के दिल से जुड़ी के बचाव में मदद करने वाली रणनीतियां ये हैं:

1. खानपान हो अच्छा

सेहतमंद खानपान से आप को दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक और चीनी से दूर ही रहें. संतृप्त वसा का सीमित सेवन महत्त्वपूर्ण है. इस दिशा में पहला कदम खाना पकाने के लिए ऐसा तेल चुनना है, जिस में दिल की सेहत की परवाह करने के लिए उचित तत्त्व सही अनुपात में हों. तेल ओमेगा-3 से समृद्ध होना चाहिए और उस में ओमेगा-6 व ओमेगा-3 के बीच का अनुपात भी आदर्श होना चाहिए. उस में विटामिन ए, डी, ई और औराइजेनौल जैसे पोषक तत्त्व भी होने चाहिए. सेहत से भरे खानपान का मतलब शराब और तंबाकू के सेवन पर सतर्क निगाह रखना भी है.

2. वजन सीमा में रखें

ज्यादा वजन होने का मतलब है कमर के आसपास अतिरिक्त वसा जमाए रखना. यह दिल से जुड़ी बीमारी के खतरे को बढ़ाता है. दिनचर्या में नियमित व्यायाम शामिल करने से दिल से जुड़ी रोगों का खतरा कम हो सकता है. जब आप सही मात्रा में भोजन लेने के साथसाथ जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियां भी जोड़ लेते हैं, तो इस का असर और भी बढि़या होता है.

3. तनाव को काबू में रखें

तनाव को प्रबंधित करने के लिए रिलैक्स करने वाले अभ्यास या ध्यान जैसे वैकल्पिक तरीकों की तलाश आप के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.

4. रात को पूरी नींद अवश्य लें

जिन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, उन में मोटापा, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा पड़ने, मधुमेह और अवसाद का खतरा अधिक होता है. हर वयस्क के लिए हर रात 7-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है.

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द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार, भारत पर पड़ने वाले बीमारियों के कुल बोझ में दिल के रोगों का योगदान 1990 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है. इस आंकड़े पर विचार करते हुए यह समझना बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि अकेले उच्च कालेस्ट्रौल में कमी लाना ही दिल से जुड़ी की सेहत की गारंटी नहीं दे सकता, क्योंकि इस में कई अन्य कारकों की भी भूमिका होती है. वक्त आ गया है कि आप अपने दिल से जुड़ी की जिम्मेदारी स्वयं लें और समग्र रूप से इस के लिए सेहतमंद जीवनशैली पर चलना शुरू करें.

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