भारत के अधिकतर राज्यों में गर्मी का कहर जारी है. कई शहरों में तापमान 47 से 48 डिंग्री सेल्सियस पार कर चुका है. शरीर को जला देने वाली धूप और लूह के बीच घर से बाहर निकलना खतरे से कम नहीं है मगर रोजमर्रा के काम, नौकरी की वजह से लोगों को बाहर जाना ही पड़ता है. ऐसे में कई डॉक्टर्स अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए हीट स्ट्रोक से बचने के लिए एडवाइजरी जारी कर रहे हैं. जिन लोगों को लगता है कि हीट स्ट्रोक का खतरा सिर्फ बच्चों और बुजुर्गों को ही है तो वे गलत सोच रहे हैं. इस समय जब सूरज आंखें तरोर रहा है तो युवाओं को भी हीट स्ट्रोक का खतरा उतना ही है. अगर सावधानी नहीं बरती गई तो हीट स्ट्रोक के कारण जान भी जा सकती है. इसलिए हीट स्ट्रोक से बचने के लिए ध्यान देना बेहद जरूरी है.
क्या है हीट स्ट्रोक?
न्यूट्रिशनिस्ट अंजली मुखर्जी के अनुसार, तेज गर्मी के संपर्क में आने के कारण हमारा शरीर खुद को उस हिसाब से ठंडा नहीं रख पाता है. हमारा हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क का वह हिस्सा जो शरीर के कई कार्यों को नियंत्रित करता है ) शरीर के मुख्य तापमान को फिक्स करता है. यह हमारे शरीर को लगभग 98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) पर सेट करता है. हालांकि हमारा शरीर जब अधिक गर्मी के संपर्क में आता है तो हमारे शरीर का तापमान इस फिक्स प्वाइंट से ऊपर बढ़ जाता है.
सामान्य भाषा में समझें
डॉक्टर अंजली मुखर्जी के अनुसार, हीट स्ट्रोक को सनस्ट्रोक भी कहा जाता है. यह गर्मी के कारण होने वाली एक बीमारी है. जब कोई लागातार तेज धूप गर्मी में रहता है तो उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है. यब तब होता है जब शरीर के तापमान को कंट्रोल करने वाला सिस्टम ओवरलोड हो जाता है. इस वजह से अचानक शरीर का तापमान हाई हो जाता है. इस तापमान को कंट्रोल करना एकदम से मुश्किल होता है.