नवजात शिशु की सिर्फ 3 मांगें होती हैं. पहली, वह अपनी मां के बाजुओं की गरमाहट चाहता है, तो दूसरी, वह स्तनपान का अपना आहार चाहता है और तीसरी, वह मां की उपस्थिति में अपनी सुरक्षा चाहता है. उस की ये तीनों ही मांगें स्तनपान से पूरी हो जाती हैं. बच्चे के जन्म के पहले ही दिन से बच्चा और मां एक अटूट बंधन में बंध जाते हैं, जो स्तनपान द्वारा और मजबूत होता जाता है. लेकिन पहले बच्चे के जन्म के समय मां को उस की देखभाल और आहार के बारे में ज्यादा पता नहीं होता, इसलिए कई बार वह गलतियां कर बैठती है.
नवजात शिशु का आहार कैसा हो इस के बारे में बता रहे हैं एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के सीनियर कंसल्टैंट जसप्रकाश सेन मजूमदार.
शुरुआती आहार: शिशु जब जन्म लेता है तो वह सिर्फ मां के दूध पर ही निर्भर रहता है. उसे पानी देने की भी जरूरत नहीं पड़ती. मां का दूध शिशु के लिए शुद्ध, मिलावट रहित और पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है. इस का सही मात्रा में सेवन करवाने से बच्चा स्वस्थ रहता है और मां व शिशु में इस से भावनात्मक रिश्ता बन जाता है. ब्रैस्ट मिल्क में इम्युनोग्लोबुलिन (सुरक्षात्मक प्रोटीन) मिला होता है, जो शिशु को बाहरी संक्रमण से बचाता है.
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6 माह का होने तक आहार: नवजात शिशु शुरू में कुछ दिनों तक दिन में लगातार कई बार कुछ अंतराल पर दूध की मांग करता है. उस में पहले हफ्ते में वह दिन में 8 से 15 बार दूध की मांग करता है, तो पहले हफ्ते के बाद 6 से 8 बार. जो शिशु स्तनपान करते हैं वे डब्बाबंद दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में अधिक बार दूध पीने की मांग करते हैं. फिर 6 से 8 सप्ताह के बीच शिशु स्तनपान और सोने के नियम का पालन करने लग जाता है.
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