कोरोना वैक्सीन को लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही है. इतना ही नहीं 2 कोरोना वैक्सीन को स्वीकृति देने के बाद राजनेताओं के बीच में भी कहासुनी शुरू हो गयी है. कोई इसे लगाना नहीं चाहता, तो कोई इसकी प्रभावकारिता, तो कोई इसके साइड इफ़ेक्ट के बारें मेंचिंतित है, ऐसे में आम इंसान के लिए येसमझना मुश्किल हो गया है कि कोरोना की वैक्सीन अगर लगाये, तो कौन सीलगाये और इसे लगाना कितना जरुरी है.हालाँकि पूरे विश्व में कोरोना संकरण के बढ़ते हुए मरीजों और अधिक मृत्यु दर को देखते हुए इन सभी वैक्सीन के निर्माण में रिसर्चर्स और साइंटिस्ट ने दिन-रात एक कर दिया है, ऐसे में इनकी गुणवत्ता के बारें में संदेह करना उचित नहीं.
इस बारें में रिजनेरेटिव मेडिसिन रिसर्चर Stem Rx बायोसाइंस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. प्रदीपमहाजन कहते है कि वायरल डिसीज हमेशा संक्रामक होते है, लेकिन कोविड 19 का रूप हर देश में अलग-अलग देखा जा रहा है. ये बीमारी कितने दिनों तक चलेगी, किसी को पता नहीं है, ऐसे में वैक्सीन लगाने से कुछ हद तक इस बीमारी से सुरक्षा लोगों को मिल सकती है. हर्ड इम्युनिटी के लिए 80 प्रतिशत लोगों में इम्युनिटी का विकास होना जरुरी है. इतनी बड़ी जनसँख्या में हर्ड इम्युनिटी तक देश पहुंचा है या नहीं, इसे समझ पाना भी मुश्किल है. अभी एक नया स्ट्रेन यूके से आया है, जो जल्दी फैलता है, पर उसमे मृत्यु दर कम है. इसलिए बीमारी को जल्दी कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन ही एक विकल्प है, इसमें पहले हेल्थ वर्कर्स, जिसमे मेडिक्स, पैरामेडिक्स, पब्लिक सर्वेन्ट्स जो अधिकतर कॉमन लोगों के साथ जुड़े होते है, उन्हें पहले वैक्सीन के द्वारा सुरक्षा देने की जरुरत है.
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