लेखिका-सोनिया राणा

आयरन उन महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों में से एक है जो प्रैगनैंसी में आप को और आप के शिशु को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है. प्रैगनैंसी के दौरान आयरन की आवश्यकता दोगुनी हो जाती है. ऐसा क्यों है और आयरन की इस जरूरत को आप कैसे पूरा कर सकती हैं, इन सब सवालों के जवाब दे रही हैं गायनोकोलौजिस्ट डा. पूर्णिमा जैन: आयरन लेना क्यों जरूरी

आयरन का उपयोग शरीर में औक्सीजन का संचार करने के लिए होता है. यह लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन का घटक है जोकि हीमोग्लोबिन की मदद से पूरे शरीर में औक्सीजन ले जाने का काम करता है. इस के अलावा यह मायोग्लोबिन (मांसपेशियों में पाया जाने वाला एक तरह का प्रोटीन) की मदद से मांसपेशियों में भी औक्सीजन का संचार करने का काम करता है. साथ ही यह कई जरूरी ऐंजाइम्स के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है.

प्रैगनैंसी के दौरान आप को अपने और डेली ग्रो करते शिशु के लिए विशेषरूप से दूसरी और तीसरी तिमाही में अतिरिक्त आयरन की जरूरत होती है. सही आयरन की आपूर्ति प्लैसेंटा का सही विकास सुनिश्चित करती है और प्लैसेंटा के जरीए ही गर्भनाल के द्वारा शिशु को सभी पोषक तत्व और औक्सीजन पहुंचती है, जिस से शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से होता है.

आयरन की कमी पड़ सकती है भारी

अधिकतर डाक्टरों का यही मानना है कि वैजिटेरियन भोजन करने वाली अधिकतर महिलाएं अकसर कुछ हद तक आयरन की कमी यानी ऐनीमिया की शिकार होती हैं और ये स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब महिला प्रैगनैंट हो, क्योंकि ऐसे में उसे दोगुनी मात्रा में आयरन की आवश्यकता होती है. ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप सही मात्रा में आयरन नहीं लेती हैं तो आप को प्रीमैच्योर डिलिवरी, सिजेरियन डिलिवरी और शिशु के विकास में रुकावट का भी सामना करना पड़ सकता है.

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आयरन की कमी के चलते आप को पैरों में सूजन के साथसाथ लंग्स में पानी भरना, हार्ट फेल जैसी गंभीर दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है. आयरन की कमी के चलते शिशुओं में जहां उन का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होता है वहीं समय से पूर्व जन्म, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना और प्रसवकालीन मृत्यु जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.

कितने आयरन की जरूरत

सामान्य अवस्था की बात करें तो एक महिला को प्रतिदिन लगभग 18 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है. लेकिन प्रैगनैंसी के वक्त यह आवश्यकता 27 मिलीग्राम तक बढ़ जाती है.

ऐसे करें आयरन की कमी को पूरा

ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि आयरन की कमी को पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़चना, गाजर, चुकंदर, अनार, साबूत अनाज, बींस, शिमलामिर्च, मछली और रैड मीट का सेवन जरूरी है.

आयरन युक्त चीजों को आहार में जरूरी तौर पर शामिल करें. डाक्टर कहते हैं अगर आप आयरन के साथ विटामिन सी का सेवन करती हैं तो इस से आयरन के इनटेक को बढ़ाया जा सकता है. इसलिए डाक्टर आयरन के साथसाथ विटामिन सी युक्त चीजें जैसे संतरा, अंगूर, नीबू, कीवी, ब्रोकली, स्ट्रौबेरी आदि खाने की सलाह देते हैं. इस के साथ ही यदि डाक्टर ने आप को आयरन सप्लिमैंट्स प्रिस्क्राइब किए हैं तो उन्हें भी समय से लेना न भूलें.

इस के साथ ही आप लोहे के बरतन का इस्तेमाल खाना बनाने में करें, इस से कुछ मात्रा में भोजन में भी आयरन आ जाता है.

इन चीजों का भूल कर भी न करें सेवन

आयरन के इनटेक को बढ़ाने के लिए जैसे साथ में विटामिन सी जरूरी है, ठीक वैसे ही हर्बल टी या कौफी, फली वाला अनाज, कैल्सियम नहीं लेना चाहिए. ये शरीर में आयरन अवशोषण में बाधा बनते हैं.

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ऐक्सपर्ट्स के अनुसार तो कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में पेट के कीड़े आयरन अवशोषण को बाधित करते हैं, जिस का लक्षण यही है कि वजन नहीं बढ़ रहा. ऐसे में अपने डाक्टर से सलाह ले कर डीवर्मिंग की दवा लें. उस से आप को राहत मिलेगी और आप के शरीर को पोषक तत्त्वों की पूर्ति सही तरीके से होगी.

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