सवाल 1 – प्रोन पोजिशन क्या है?
जवाब 1 – यह एक सरल तकनीक है जिससे मरीजों को पेट के बल लेटना होता है और उनकी छाती और चेहरा नीचे की ओर होता है. रोगी को प्रोन पोजिशन में रखने पर उनके रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार होता है जिससे श्वसन में मदद मिलती है.
सवाल 2 – ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने में प्रोन पोजिशन कैसे काम करता है?
जवाब 2 – जब हम चित सीधे लेटे होते हैं जिसमें चेहरा और छाती ऊपर की ओर होता है, तो हृदय का दबाव फेफड़ों पर पड़ता है क्योंकि यह फेफड़ों के ऊपर होता है. जिसके कारण हृदय फेफड़े को दबाता है और फेफड़ों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पूरी तरह से फैल नहीं पाता है या पूरी तरह से फुल नहीं पाता है. लेकिन, जब हम चेहरा नीचे कर (पेट के बल) लेटते हैं, तो हृदय के वजन को हमारे पंजर (रिब केज) और रीढ़ (स्पाइन) द्वारा सपोर्ट मिलता है. हृदय अब फेफड़ों पर पूरी तरह से दबाव नहीं डाल रहा होता है जिससे फेफड़ों का पूरी तरह फुलना और ठीक से काम करना आसान होता है. ऑक्सीजन की आपूर्ति शरीर के सभी भागों में समान रूप से पहुंचना बहुत महत्वपूर्ण है जो कि परफ्युजन प्रक्रिया के द्वारा रक्त परिसंचरण के माध्यम से होती है. प्रोन पोजिशन में, रक्त परिसंचरण, और ऑक्सीजन की आपूर्ति दोनों उत्कृष्ट स्तर पर होती हैं जिससे शरीर के सभी हिस्सों में पर्याप्त रक्त पहुंचता है. वेंटिलेशन (फेफड़ों में और फेफड़ों की दीवारों के बाहर हवा का प्रवाह) और परफ्युजन (फेफड़ों की दीवार के केशिकाओं में रक्त का प्रवाह) के बीच संतुलन प्रोन पोजिशन में काफी अच्छा हाेता है.
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सवाल 3 – क्या आप हमें घर में किये जा सकने वाले सेल्फ–प्रोनिंग के लिए चरण–दर–चरण दिशानिर्देश दे सकते हैं?
जवाब 3 – कृपया इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए ऑक्सीमीटर का उपयोग करें –
- पोजिशन 1: अपने पेट के बल 30 मिनट से 2 घंटे तक लेटें.
यदि रोगी पहले से ही ऑक्सीजन के सपोर्ट पर है, तो ऑक्सीजन को इस पोजिशन में नहीं निकाला जाना चाहिए, सिर को बाईं ओर / दाईं ओर घुमाएं और ऑक्सीजन का सपोर्ट जारी रखें. सपोर्ट के लिए सिर, छाती और पेल्विस के नीचे तकिया रखें लेकिन पेट पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए.
- पोजिशन 2: 30 मिनट से 2 घंटे तक अपनी बाईं करवट लेटें.
- पोजिशन 3: 30 मिनट से 2 घंटे तक उठते–लेटते रहें.
- पोजिशन 4: 30 मीटर से 2 घंटे तक अपनी दाईं करवट लेटें.
- पोजिशन 5: पोजिशन 1पर वापस जाएं 1- अपने पेट के बल 30 मिनट से 2 घंटे तक लेटें.
सवाल 4 – क्या सभी रोगियों को प्रोन पोजिशन से लाभ हो सकता है?
जवाब 4 – इसका लाभ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग– अलग होता है जिसे केवल रोगी को प्रोन पोजिशन में रहने पर निर्धारित किया जा सकता है. प्रोन पोजिशन में रहने पर कुछ लोगों के ऑक्सीजन के स्तर में बहुत सुधार होता है, लेकिन कुछ लोगों के ऑक्सीजन के स्तर में बहुत अंतर दिखाई नहीं देता है, और इसी से यह पता लगाया जा सकता है कि यह उन पर काम कर रहा है या नहीं.
सवाल 5 – प्रोन पोजिशन में रहने से किसे बचना चाहिए?
जवाब 5 – निम्न लोगों के लिए प्रोन पोजिशन उचित नहीं है –
- गर्भवती महिला
- गंभीर हृदय रोग वाले रोगी
- अस्थिर रीढ़ या रीढ़ में फ्रैक्चर वाले रोगी
- पेल्विक फ्रैक्चर वाले रोगी.
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सवाल 6 – सेल्फ प्रोनिंग के दौरान किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
जवाब 6 – यदि आप घर में सेल्फ प्रोनिंग की योजना बना रहे हैं तो कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखें –
- भोजन के बाद कम से कम 2 घंटे के लिए सेल्फ प्रोनिंग से बचें.
- सेल्फ प्रोनिंग की केवल उतनी ही प्रक्रिया दोहराएं जितना करना आसानी से संभव हो या सहन हो सके. अपने आप पर अधिक दबाव नहीं डालें.
- सेल्फ प्रोनिंग के दौरान दबाव के कारण होने वाले किसी घाव या चोट की जाँच कर लें.
- सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया के दौरान रक्तचाप और हाइड्रेशन बना रहे.
जरूरी बात
आंख मूंद कर किसी भी प्राकृतिक या हर्बल उपाय को बनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें आजकल सोशल मीडिया यूट्यूब हर जगह बाबा रामदेव के बनाए हुए नुस्खों की भरमार है. वह एक ऐसा टीवी व्यक्तित्व है जिसका सच्चाई के साथ संबंध ही काफी लोचदार है. हकीकत में तो वह ब्रांडिंग का कोई अवसर नहीं खोना चाहते. तभी तो उनका नाम और चेहरा भारत में हर जगह दिख जायेगा. चाहे स्वदेशी सिम कार्ड हो या पैकेज्ड नूडल्स या हर्बल कब्ज उपचार या फिर गाय के मूत्र से बना फर्श क्लीनर ही क्यों न हो वह अपनी ब्रांडिंग कभी नहीं छोड़ते और जब से देश महामारी के जाल में फंसा है तब से तो आए दिन कोविड से बचने के नुस्खे बताते रहते हैं. उनके बताए हुए नुस्खों की बानगी तो देखिए.
यदि गिलोय, तुलसी और काली मिर्च से बना काढ़ा पियेंगे तो कोविड भाग जायेगा. साथ में हल्दी का दूध या काढ़ा भी फायदेमंद है. रामदेव के अनुसार यदि गिलोय का रस पिया जाए रोज सुबह शाम दो चम्मच तो आपके शरीर की इम्यूनिटी स्ट्रांग हो जाएगी और आप इन सब विधियों को अपनाकर कोरोनावायरस को मात दे सकते हैं.
इसलिए हम तो यही कहना चाहेंगे कि आप किसी भी नुस्खे को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
डॉ राजेश कुमार पांडे, वरिष्ठ निदेशक और विभागाध्यक्ष, बीएलके – मैक्स सेंटर फॉर क्रिटिकल केयर,
बीएलके – मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से बातचीत पर आधारित