दिल्ली में तमाम कोशिशों के बावजूद वायु प्रदूषण सेहत के लिए सुरक्षित सीमा से 16 गुणा बढ़ गया. दीवाली के पटाखों से देश की राजधानी फिर ज़हरीले धुएं से भर गई. उस पर पराली के धुएं से हालात और भी खराब हो रहे हैं. हर साल इस समय वायु प्रदुषण का कहर इसी तरह लोगों का दम घोटने लगता है.
सिर्फ दीवाली ही नहीं बाकी समय भी देश के बहुत से इलाकों में वायु प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी प्रभावित करता रहा है. आज हम जिस वातावरण में जी रहे हैं उस में वायु प्रदूषण का स्तर चरम पर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार आज विश्व की 92 प्रतिशत जनसंख्या उन क्षेत्रों में रह रही है जहां वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षा सीमाओं से अधिक है. बढ़ता वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं और मृत्यु के एक प्रमुख कारण के रूप में उभर रहा है.
वायु प्रदूषण और हमारा स्वास्थ्य
वायु प्रदूषण का प्रभाव हमारे शरीर के प्रत्येक अंग और उस की कार्यप्रणाली पर पड़ता है. इस के कारण हृदय रोग, स्ट्रोक, सांस से संबंधित समस्या, डायबिटीज, बांझपन वगैरह की आशंका बढ़ जाती है.
हाल में हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जो लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहां अत्यधिक ट्रैफिक होता है उन की प्रजनन क्षमता में 11 प्रतिशत की कमी आ जाती है. आइये इंदिरा आईवीएफ हॉस्पिटल की डॉ सिम्मी अरोड़ा से जानते हैं कि विषैली हवा में सांस लेने से प्रजनन क्षमता पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से नकारात्मक प्रभाव कैसे पड़ता है;
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