लेखक- मेहा गुप्ता
कोई भी स्त्री तब तक संपूर्ण रूप से सुंदर नहीं कहला सकती जब तक वह मानसिक या अंदर से मजबूत न हो. हौलीवुड की अभिनेत्रियां की जिम फ्रिकनैस सर्वविदित है. प्रसिद्ध अभिनेत्रियों जेसिका अल्बा, जेनिफर गार्नर और 76 साल की जेन फोंडा काफी हैवी वेट ऐक्सरसाइज करती हैं. इस से इन की खूबसूरती में आंच नहीं आई है और इन की खूबसूरती का सारा जमाना दीवाना है.
हमारे देश में फैशन और बौलीवुड भी इस से अछूता नहीं है. अब बौलीवुड अभिनेत्रियां हौलीवुड अभिनेत्रियों से प्रभावित हो कर अपनी दैनिक दिनचर्या में से 1-2 घंटे जिम के लिए निकालती हैं. इस में सिर्फ साइक्लिंग, जौगिंग, हलकीफुलकी फ्लोर ऐक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि वेट लिफ्ंिटग जैसी मसल बिल्डिंग ऐक्सरसाइज भी शामिल हैं. आजकल इस के लिए ‘पाइलौक्सिंग’ शब्द का समावेश हुआ है, जिस में मसल बिल्डिंग ऐक्सरसाइज और बौक्सिंग सम्मिलित है. शारीरिक मजबूती कितनी जरूरी है और इस का सुंदरता से कितना गहरा नाता है, आइए, जानें:
1. स्वास्थ्य
बढ़ती टैक्नोलौजी ने इंसान की जिंदगी को आरामदेह बना दिया है. पहले औरतें सारे काम हाथ से करती थीं. मगर अब सारा काम मशीनों से होने लगा है. इसलिए कसरत करना जरूरी हो गया है. शारीरिक कार्यों की कमी से मोटापे की समस्या बढ़ी है जो हाई ब्लड प्रैशर और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है. 40 की
उम्र के बाद या मैनोपौज के समय स्त्रियों में औस्टियोपोरोसिस की समस्या आम बात है, जिस का कारण बढ़ती उम्र के साथ बोन डैंसिटी का कम होना है. कैल्सियम की गोलियां राहत दे सकती हैं पर लंबे समय तक इन का सेवन पथरी का कारण बन सकता है. वेट लिफ्टिंग एक बेहतर विकल्प है.
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2. मानसिक स्वास्थ्य
नियमित व्यायाम से शरीर की अधिक कैलोरी की आवश्यकता बढ़ती है, जिस से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और नींद अच्छी आती है. अच्छी नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए पहली शर्त है. अच्छी नींद लेने से आधी मानसिक बीमारियां दूर हो जाती हैं. नियमित वर्कआउट टैंशन को घटाने में मदद करता है.
‘हार्वर्ड स्कूल औफ पब्लिक हैल्थ’ की रिसर्च के अनुसार नियमित कसरत 26% तक डिप्रैशन को थामने में मदद करती है. यह अटैंशन डैफिसिट हाईपर ऐक्टिविटी सिंड्रोम नामक मानसिक बीमारी के इलाज में प्रयुक्त दवाइयों रैटेनिल और ऐनाड्रोल के समान कार्य करती है. यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों और टीनऐजर्स को अपना शिकार बना रही है. वर्कआउट से हारमोंस डोपामाइन और सैरोटोनिन का स्तर बढ़ता है. ये हमें खुश रखते हैं, साथ ही सकारात्मक सोच को भी बढ़ाते हैं.
3. खूबसूरती
नियमित वर्कआउट से रक्तप्रवाह बढ़ता है, जिस का खूबसूरती से सीधा संबंध है. लगभग सभी स्त्रियां पार्लर जा कर फेशियल करवाती हैं, क्योंकि इस से रक्तप्रवाह बढ़ता है, जिस से वे खूबसूरत नजर आती हैं. संपूर्ण वर्कआउट से पूरा शरीर खूबसूरत बनता है. त्वचा टोन होती है. डर्मैटोलौजिस्ट के अनुसार वर्कआउट से स्ट्रैस संबंधित हारमोन कोर्टिसोल का लैवल कम होता है, जिस से सिरम का नियंत्रित निर्माण होता है जो कीलमुंहासों के लिए जिम्मेदार होता है. इस के अलावा अधिक कोर्टिसोल कोलोजन का निर्माण बढ़ाता है, जिस से त्वचा कसी रहती है, चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं और लंबी उम्र तक जवां दिख सकते हैं.
4. सैक्सुअल लाइफ
डेली वर्कआउट लिबिडो किलर है. लिबिडो में सैक्स इच्छा कम हो जाती है. वर्कआउट से उन हारमोंस का कौकटेल बनता है जो आप के शरीर में ऐडे्रनलिन और ऐंडोर्फिन का स्तर बढ़ाते हैं. ऐस्ट्रोजन सब से महत्त्वपूर्ण सैक्स हारमोन है, जो प्रमुख स्त्री जननांग जैसे स्तन का निर्माण और प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक है. हमारे सैक्सुअल और्गेज्म में रक्तप्रवाह बढ़ने से सैक्स ड्राइव में इजाफा होता है. इस के अलावा और्गेज्म तक पहुंचने में भी अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिस के लिए वर्कआउट उपयोगी साबित हो सकता है. अब वह समय नहीं रह गया है जब स्त्री अपने पति को दांपत्य सुख देना भर अपना कर्तव्य सम झती थी, बल्कि आज की स्त्री अपनी संतुष्टि के प्रति भी सजग रहती है.
5. आत्मरक्षा
एक समय था जब स्त्री को पुरुष के मुकाबले शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, पर आज की स्त्री कमजोर नहीं है. स्त्री के लिए आत्मरक्षा खूबसूरती से भी अधिक आवश्यक हो गई है. डेली वर्कआउट से ही
मसल मास और बोन डैंसिटी बढ़ेगी जो किसी पुरुष के अचानक आक्रमण का विरोध करने में कवच का काम करेगी और इस के लिए कोई शौर्टकट नहीं है.
6. आत्मनिर्भरता
सब से बड़ी बात शारीरिक मजबूती से आप की आत्मनिर्भरता में इजाफा होगा. फिर गैस सिलैंडर खत्म हो जाने पर या टू व्हीलर चलाते समय स्लिप होने या संतुलन बिगड़ जाने पर मदद के लिए आप को किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा या फिर रात को 8-9 बजे घर से निकलने पर घर के बड़ों का यह जुमला कि साथ में भैया या पापा को लेती जाओ, नहीं सुनना पड़ेगा.
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7. सावधानियां
– धीरेधीरे शुरुआत करें. ऐसा न हो कि एकदम से हैवी ऐक्सरसाइज या वेट लिफ्टिंग शुरू कर दें. इस से उलटे परिणाम यानी जौइंट्स पेन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
– हलके वजन वाले डंबल्स से ज्यादा रैप्स करें न कि जोश में आ कर भारी डंबल्स के कम रैप्स करें.
– हैवी वर्कआउट से पहले 10 मिनट वार्मअप करना न भूलें. इस के लिए स्ट्रैचिंग आदि कर सकती हैं. इस से जौइंट्स लुब्रिकैंट्स बनाते हैं, जिस से वे आसानी से मूव करेंगे.
– पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं, जिस से अधिक मात्रा में कैलोरी जलती है और वेट लौस जल्दी होता है.
– वर्कआउट नियमित रूप से करें. ऐसा नहीं कि हफ्ते में एक बार कर के छोड़ दिया. हफ्ते में कम से कम 3 दिन घंटेभर का वर्कआउट पर्याप्त है.
– अगर वर्कआउट के दौरान या बाद में जौइंट पेन की शिकायत होने लगे तो वर्कआउट करना बंद कर दें.
– सब से महत्त्वपूर्ण कोई भी वेट ट्रेनिंग ऐक्सपर्ट की निगरानी में ही करें.
– शरीर की बड़ी मसल्स जैसे ऐब्स, बटक और चैस्ट से वर्कआउट की शुरुआत करें और बाद में प्लैंक्स करें.