पिछले कुछ सालों से लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले इसे ‘स्मोकर्स डिसीज’ कहा जाता था, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. अब युवा, महिलाएं और धूम्रपान न करने वाले भी तेजी से इस की चपेट में आ रहे हैं. लंग केयर फाउंडेशन द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लंग कैंसर के शिकार 21% लोग 50 से कम उम्र के हैं. इन में से कुछ की उम्र तो 30 वर्ष से भी कम है. युवा पुरुषों के साथसाथ युवा महिलाएं भी अब इस की चपेट में अधिक आ रही हैं.
ये होता है लंग कैंसर
फेफड़ों में असामान्य कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास होने पर लंग कैंसर होता है. ये कोशिकाएं फेफड़ों के किसी भी भाग से हो सकती हैं या फिर वायुमार्ग में भी हो सकती हैं. लंग कैंसर की कोशिकाएं बहुत तेजी से विभाजित होती हैं और बड़ा ट्यूमर बना लेती हैं. इन के कारण फेफड़ों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल विश्वभर में 76 लाख लोगों की मौत फेफड़ों के कैंसर के कारण होती है, जो विश्वभर में होने वाली मौतों का 13% है.
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पहले 10 पुरुषों पर 1 महिला को लंग कैंसर होता था जो अब बढ़ कर 4 हो गया है. यह चिंता का विषय है. लंग कैंसर द्वारा महिलाओं की मृत्यु में हर साल बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है. यूटराइन कैंसर और ओवेरियन कैंसर की तुलना में ब्रैस्ट कैंसर कहीं ज्यादा है.
ये हैं लंग कैंसर के कारण
– लंग कैंसर के 10 में से 5 मामलों में इस का सब से प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन होता है, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल रही है, क्योंकि अब लंग कैंसर के मामले धूम्रपान न करने वालों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं.
– जो लोग धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं. सैकंड हैंड स्मोकिंग के कारण उन में भी लंग कैंसर होने की आशंका 24% तक बढ़ जाती है.
– सीओपीडी से पीडि़त लोगों में लंग कैंसर का खतरा 4 से 6 गुना बढ़ जाता है.
– लंग कैंसर का एक कारण आनुवंशिक भी है.
– वायुप्रदूषण के कारण भी लंग कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.
लंग कैंसर के लक्षण
– लगातार बहुत ज्यादा खांसी रहना.
– बलगम में खून आना.
– सांस लेने और कुछ निगलने में परेशानी होना.
– आवाज कर्कश हो जाना.
– सांस लेते समय तेज आवाज आना.
– निमोनिया होना इत्यादि.
लगातार खांसी रहना और खांसी के साथ खून आना लंग कैंसर का प्रमुख लक्षण है, जो पुरुषों व महिलाओं दोनों में होता है. बाकी लक्षण ऐसे हैं जो दूसरी बीमारियों में भी हो सकते हैं. कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत उपचार कराना बेहद जरूरी है.
फेफड़ों के कैंसर का ऐसे करें इलाज
कैंसर का उपचार इस पर निर्भर करता है कि कैंसर का प्रकार क्या है और यह किस चरण में है. लंग कैंसर के इलाज के कई तरीके हैं-सर्जरी, कीमोथेरैपी, टारगेट थेरैपी, रैडिएशन थेरैपी एवं इम्यूनोथेरैपी.
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फेफड़ों के कैंसर की सर्जरी
पहले और दूसरे चरण में सर्जरी कारगर रहती है, क्योंकि तब तक बीमारी फेफड़ों तक ही सीमित होती है. सर्जरी थर्ड ए स्टेज में भी की जा सकती है, लेकिन जब कैंसर फेफड़ों के अलावा छाती की झिल्ली से बाहर निकल या दूसरे अंगों तक फैल जाता है तब सर्जरी से इस का उपचार नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में कीमोथेरैपी, टारगेट थेरैपी और रैडिएशन थेरैपी की मदद ली जाती है.
कीमोथेरैपी भी है एक इलाज
कीमोथेरैपी में साइटोटौक्सिक दवा को नस में इंजैक्शन के द्वारा शरीर के अंदर पहुंचाया जाता है, जो कोशिकाओं के लिए घातक होती है. इस से अनियंत्रित रूप से बढ़ती कोशिकाएं तो नष्ट होती ही हैं, साथ ही यह कई स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है.
टारगेट थेरैपी: कीमोथेरैपी के दुष्प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया. इस में सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है. इस के साइड इफैक्ट्स भी कम होते हैं.
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क्लीनअप के लिए की जाती है रैडिएशन थेरैपी
रैडिएशन थेरैपी में कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए अत्यधिक शक्ति वाली ऊर्जा की किरणों का उपयोग किया जाता है. इन का उपयोग कई कारणों से किया जाता है. कई बार इन्हें सर्जरी के बाद बची हुई कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को क्लीनअप करने के लिए किया जाता है तो कई बार सर्जरी के पहले कीमोथेरैपी के साथ किया जाता है ताकि सर्जरी के द्वारा निकाले जाने वाले ट्यूमर के आकार को छोटा किया जा सके. उसे सर्जरी के द्वारा निकाला जा सके.
कैंसर रोकने के लिए इम्यूनोथेरैपी
बायोलौजिकल उपचार के तहत कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए इम्यून तंत्र को स्टिम्युलेट किया जाता है. पिछले 2-3 सालों से ही इस का इस्तेमाल लंग कैंसर के उपचार के लिए किया जा रहा है. कई रोगियों में इसे मूल इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
फेफड़ों के कैंसर में इन चीजों का भी रखें ध्यान
– धूम्रपान और तंबाकू का सेवन न करें.
– प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचें.
– विषैले पदार्थों के संपर्क से बचें. कोयला व मार्बल की खदानों से दूर रहें.
– अगर मातापिता या परिवार के अन्य सदस्य को लंग कैंसर है तो विस्तृत जांच कराएं.
– घर में वायु साफ करने वाले पौधे जैसे कि एरिका पौम, ऐलोवेरा, स्नैक प्लांट इत्यादि लगाएं.
– शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. नियमित एक्सरसाइज करें.
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Edited by Rosy