लेखक- शैलेंद्र
मसल्स यानी मांसपेशियों को ले कर लोगों के अलगअलग तरह के विचार होते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि महिलाओं को मसल्स नहीं बनानी चाहिए, क्योंकि मसल्स वाली महिलाओं का लुक पुरुषों सा दिखता है. उन में नारीत्व की खूबसूरती नहीं दिखती. यही वजह है कि उन्हें ऐसी ऐक्सरसाइज करने से भी रोका जाता है, जिन से मसल्स बनती हों. जबकि हकीकत यह है कि महिलाओं को भी मसल्स की उतनी ही जरूरत होती है जितनी पुरुषों को.
युवा उम्र से ही महिलाओं को अपनी मसल्स का ध्यान रखना चाहिए. मांसपेशियों के मजबूत न रहने से चोट और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. मांसपेशियों को मजबूत करने से शरीर में मजबूती आती है. इस से भागदौड़ वाले काम करना, सफर करना, बच्चों के साथ खेलकूद करना आसान हो जाता है. इस से बौडी में संतुलन और फुरती बढ़ती है. कामकाजी महिलाओं के लिए यह और भी अधिक जरूरी हो जाता है, क्योंकि उन पर काम का दबाव अधिक होता है. ज्यादातर बैठने से रीढ़ की हड्डी, कंधों, कूल्हों और घुटनों पर काफी बुरा असर पड़ता है. इस से पीठ और जोड़ों में दर्द, शरीर की लोच में कमी और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है.
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महिलाएं जब ऐक्सरसाइज या कोई काम नहीं करतीं तो मांसपेशियों की ताकत घटती जाती है, जिस से उन की ताकत घटने लगती है. अब सुंदर दिखने के लिए भी फिट दिखना जरूरी है. ऐसे में बौडी को फिट बनाने के लिए मांसपेशियों को मजबूत करना जरूरी है. अच्छी नींद और कैलोरी की मात्रा को घटा कर भी फिट दिखा जा सकता है.