जयश्री बातबात पर क्रोधित होने लगी थी. औफिस में किसी न किसी के साथ झगड़ती रहती थी. इस सब से वह बहुत परेशान रहती थी. सोचती क्या उसे कोई बीमारी तो नहीं हो गई? उस की सम?ा में नहीं आता था कि उस में ऐसा फर्क कैसे आ रहा है. उसे ऐसा ही लगता कि घर के सथी लोग उस का दिमाग खराब कर रहे हैं और बच्चे तो उस की सुनते ही नहीं हैं.
एक दिन जब जयश्री की हालत बहुत खुराब हो गई तब उन के पति उस को एक गायनेकोलौजिस्ट के पास ले गए. डाक्टर ने पूछताछ की और जांच कर के कहा कि इस में चिंता की कोई बात नहीं है. जयश्री को मेनोपौज की तकलीफ है.
मेनोपौज स्त्रीजीवन की एक अवस्था है, जिस में स्त्री को शारीरिक और मानसिक तकलीफें रहती हैं. कई बार इतनी तकलीफों से गुजरती है कि उस के लिए मेनोपौज एक समस्या बन जाती है.
दरअसल, महिला के शरीर में गर्भाशय की साथ 2 अंडाशय होते हैं. इन अंडाशयों में से ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रेरौन नामक 2 आंतस्त्राव निकलते हैं. इन हारमोंस के जरीए महिला का शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है. लेकिन महिला में करीब 40 की वय में यह आंतस्त्राव धीरेधीरे कम होने लगता है, जिस कारण मानसिक तकलीफें शुरू हो जाती हैं. इसे मेनोपौज कहा जाता है. 45 से 50 की वर्ष में जब यह आंतस्त्राव कम होने लगता है तब महिला मेनोपौज में आई होती है.
महिला में मेनोपौज पूरी जिंदगी देखने को मिलता है, जिसे पोस्ट मेनोपौज कहा जाता है. इस में यह देखने को मिलता है.