पीरियड्स के बारे मे हमारा समाज आज भी खुल कर बात करने से कतराता है. इसे आज भी सभी के सामने बात न करने वाली चीज समझा जाता है. पैड छिपा कर लाओ, लड़कों से मत बताओ और घर में इस दौरान सभी से दूर रहो जैसी बातें हर लड़की को सिखाई जाती हैं.
पीरियड्स कोई छिपाने वाली बात नहीं है. यह एक नैचुरल प्रक्रिया है जो हर महिला को मासिकधर्म के रूप में होती है. लेकिन पीरियड्स का नाम सुनते ही कई लोग असहज महसूस करने लगते हैं जैसे किसी गंदे शब्द का इस्तेमाल कर लिया हो.
कई महिलाओं के मन में पीरियड्स को ले कर कई समस्याएं, कई सवाल होते हैं, जिन पर वे खुल कर बात भी नहीं कर पातीं. आज हमारा समाज आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ तो रहा है लेकिन समाज की मानसिकता अभी भी पुरने खूंटे से बंधी हुई है. आज भी महिलाओं को पीरियड्स होने पर मंदिर जाने नहीं दिया जाता, अचार छूने नहीं दिया जाता, उन के साथ अलग व्यवहार किया जाता है. ऐसी सोच को बदलने और समाज को जागरूक करने के लिए हर साल 28 मई को वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है जो इस साल भी हाल ही में मनाया गया.
वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाने का मुख्य उद्देश्य है समाज में फैली मासिकधर्म संबंधी गलत अवधारणा को दूर करना और महिलाओं को पीरियड्स के समय स्वच्छता के लिए जागरूक करना. इस की शुरुआत साल 2014 को हुई.
मासिकधर्म कोई बीमारी या गंदगी नहीं
पत्रिकाओं, टीवी और इंटरनैट के जरिए हमें कई सारी जानकारियां अब मिलने लगी हैं जिस वजह से समाज की सोच में सुधार भी देखने को मिला है. पहले यदि टीवी पर सैनिटरी पैड का प्रचार आता था तो चैनल बदल दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा कम देखने को मिलता है. लेकिन अभी भी लोग इस के बारे में खुल कर बात नहीं करते. यहां तक कि खुद महिलाएं इस पर बात करने में असहज महसूस करती हैं.
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