देश के करीब 15 करोड़ लोगों को मानसिक स्वास्थ से संबंधित देख भाल की जरूरत होती है. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के आंकड़ों में ये बात सामने आई है. मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जागरूकता में कमी के कारण देश में उपचार के बीच अंतर पैदा हुआ है.
जानकारों के मुताबिक ज्यादातर लोगों की ये परेशानी केवल देखभाल से ठीक हो सकती है. आपको बता दें कि इस तरह की बीमारियों के लक्षण में तनाव, थकान, शरीर का दर्द है. इसके अलावा किसी के साथ बैठने या बस बात करते रहने का दिल करता है. इस तरह की बीमारियों का समय पर इलाज शुरू नहीं किया गाया तो बीमारी समय के साथ गंभीर होती जाती है.
इन परेशानियों के पीछे अवसाद के अलावा मानसिक स्वास्थ्य, गरीबी, घरेलू हिंसा और कम उम्र में विवाह जैसी समस्याएं जुड़ी हो सकती हैं. इसलिए जरूरी है कि इसको बड़े पैमाने पर देखा जाए. आपको बता दें कि सरकार की ओर से भी इस तरह की परेशानियों के लिए कुछ प्रभावशाली कदम नहीं देखा गया है. यही कारण है कि देश के केवल 27 प्रतिशत जिलों में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है, जबकि कई जगहों पर इसकी पूरी टीम तक नहीं है. भारतीय लोग मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति इम्यून नहीं है, लेकिन इस बात में भरोसा नहीं करते कि उन्हें भी यह समस्या हो सकती है.
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ये करें
- खड़े या साबूत अनाजों से तैयार आहार का उपभोग करें
- अपने आहार में हरी साग सब्जियों, प्रटीन युक्त, स्वस्थ वसा और जटिल कार्बोहाइड्रेट वाले आहारों को शामिल करें
- खूब पानी पिएं. ज्यादा पानी पीने से लिम्फैटिक सिस्टम से विषाक्त पदार्थ दूर होते हैं
- यह ऊतकों को डिटौक्सीफाई और फिर से बनाने के लिए आवश्यक हैं
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