लेखक- मेहा गुप्ता
मसल बिल्डिंग से स्त्री मर्दाना लगती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि मसल बिल्डिंग में टेस्टोस्टेरौन हारमोन का खास योगदान होता है, पर आप यह जान लें कि स्त्रियों में यह हारमोन पुरुषों की तुलना में काफी कम होता है. इस वजह से वे पुरुषों की तरह मसल नहीं बना सकती हैं तो मर्दाना लगने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है.
लंबे समय तक जिम जाने से जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ती है?
सच तो यह है कि ऐक्सरसाइज और वेट लिफ्टिंग मसल्स को मजबूत बनाती है. मसल्स जौइंट्स को सहारा देने का काम करती हैं. हमारे शरीर के जोड़ों को मसल्स और लिगामैंट्स की जरूरत होती है. इस के बिना हड्डियां टूट सकती हैं. यही कारण है कि उम्र बढ़ने के साथ जरा सा गिरने या चोट लगने पर फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए जिमिंग जोड़ों के दर्द की समस्या को घटाता है बढ़ाता नहीं.
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हैवी ऐक्सरसाइज से हैवी पीरियड्स फ्लो की समस्या बढ़ती है?
63% टौप फीमेल ऐथलीट्स का मानना है कि वर्कआउट से पेल्विक एरिया में रक्तप्रवाह बढ़ जाता है, जिस से पीरियड्स में होने वाले दर्द से राहत मिलती है. इस के अलावा इन दिनों कई बार डिप्रैशन या मूड स्विंग की समस्या देखी जाती है जैसाकि पहले ही कहा जा चुका है कि वर्कआउट से हारमोंस स्रावित होते हैं, जो मूड को अच्छा रखने में सहायक होते हैं. इस के अलावा नियमित ऐक्सरसाइज पीरियड्स को नियमित करती है. अगर आप को इन दिनों जिम में असुविधा महसूस हो तो वाकिंग की जा सकती है.
वर्कआउट से प्रजनन अंगों और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है?
आधुनिक जीवनशैली के चलते हमारे भोजन में पेस्टिसाइड्स और दवाइयों का प्रयोग बढ़ गया है. कई बार स्त्रियों में 35 की उम्र के आसपास ऐस्ट्रोजन का स्राव बढ़ने से ब्रैस्ट कैंसर की समस्या जन्म लेती है. नियमित वर्कआउट ऐस्ट्रोजन के स्तर को कम करता है. ऐस्ट्रोजन की बढ़ी मात्रा ब्रैस्ट कैंसर के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है. यही नहीं ऐस्ट्रोजन के संतुलित रहने से ओव्युलेशन और प्रजनन क्षमता में वुद्धि होती है.