National Cancer Awareness Day : कैंसर जिसे कभी एक दुर्लभ और घातक बीमारी माना जाता था आज वैश्विक और भारतीय स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गया है. चिंता का विषय यह है कि भारत उन देशों में शामिल हो रहा है जहां कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसे अक्सर "विश्व का कैंसर कैपिटल" कहा जा रहा है. जीवनशैली में बदलाव, पर्यावरणीय कारक और आहार संबंधी आदतें इस महामारी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं जिससे न केवल बुजुर्ग बल्कि युवा भी प्रभावित हो रहे हैं.
भारत में कैंसर के मामले: "कैंसर कैपिटल" बनने की ओर
हाल के अध्ययनों से भारत में कैंसर के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, देश में हर साल 1.3 मिलियन से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आते हैं और अगले दशक में यह संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है. 2040 तक भारत में कैंसर की घटनाओं के दोगुना होने का अनुमान है जो स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है. भारत में कैंसर से होने वाली मृत्यु दर मुख्य रूप से देर से निदान और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत इलाज की सीमित पहुंच के कारण वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में कैंसर मौत के प्रमुख कारणों में से एक बन चुका है. भारत में मुख, फेफड़े, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और पेट के कैंसर की घटनाएं बहुत अधिक हैं जो मुख्य रूप से सांस्कृतिक और पर्यावरणीय कारणों से जुड़ी हुई हैं.
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