ढेर सारा तेल चुपड़ कर बेबी की बौडी पर जोरजोर से हाथ को आगेपीछे घिसना सही मसाज नहीं है. न्यू मौम को अक्सर इस बात का कंफ्यूजन रहता है कि मालिश करना जरूरी है या नहीं, मालिश किस तेल से की जाए, कितनी देर की जाए, इस सब्जेक्ट को लेकर मन में जो भी कंफ्यूजन है, उसे दूर करना जरूरी है और इस काम में मदद कर रही हैं पीडियाट्रिशयन डॉ श्रेया दूबे.
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अगर बेबी जोरजोर से रोने लगे - बच्चों की मालिश उसके जन्म के 10 से 12 दिन की उम्र से शुरू की जा सकती है. इसे को 5 से 6साल की उम्र तक जारी रखा जा सकता है. बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बेबी मालिश को एंजौय कर रहा है या नहीं. अगर मां को यह महसूस होता है कि वह मालिश को एंजौय नहीं कर रहा है, बहुत रो रहा है, तो इसका बहुत फायदा नहीं होगा. उसे शांत करने के बाद ही मालिश करें, मालिश करते समय म्यूजिक लगा दें या खुद गुनगुनाएं.
मसल्स नहीं बनाना है - कई बार यह देखा गया है कि मां बच्चे के शरीर पर हाथों से दबाव डालकर मालिश करती हैं जबकि पीडियाट्रिशियन डॉक्टर श्रेया दूबे का कहना है कि बच्चों की मालिश हल्के हाथों से की जानी चाहिए. हर मां के लिए यह जानना जरूरी है कि बच्चे की मालिश उसके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए किया जाता है न कि उसके मसल्स बनाने के लिए, इसलिए हल्के हाथों से प्यार से मालिश की जानी चाहिए. मालिश का सिंपल फौर्मूला यह है कि ‘न बहुत ज्यादा तेजी से करें, न ही बहुत धीरे से’.