दुर्गंधभरी सांसें सामाजिक और निजी रिश्तों में सड़ांध पैदा कर देती हैं. तनमन और रिश्तों में ताजगी बनाए रखने के लिए ताजी और दुर्गंधरहित सांसों का होना जरूरी है. बदबूदार सांसें किसी भी व्यक्ति को आप से दूर होने को मजबूर करती हैं. कई कारणों से सांसें बदबूदार हो जाती हैं, ऐसे में उन की देखभाल बेहद जरूरी है. सांसों में ताजगी भरने के लिए पेश हैं, कुछ खास टिप्स :

सुबह उठ कर और रात को सोने से पहले ब्रश करने की क्रिया में संभव हो तो थोड़ा बदलाव लाएं. प्रतिदिन 2 बार ब्रश करने के बजाय हर भोजन के बाद ब्रश करें. इस के साथ ही जबान साफ करना भी न भूलें.

खाने के बाद कुल्ला जरूर करें. दांतों और मूसड़ों के बीच में खाना फंस जाता है, जो ब्रश करने से भी साफ नहीं होता है. दांतों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुल्ला करना बेहद जरूरी है, लेकिन ताजी सांसों के लिए दांतों के बीच में से सड़ती हुई फंसी चीजों को फ्लासिंग (स्वच्छ, बारीक व मजबूत धागे से सफाई) के द्वारा निकालना बेहद जरूरी है.

अगर आप को बहुत जल्दीजल्दी एसिडिटी होने की शिकायत रहती है तो यह भी सांसों में दुर्गंध का कारण हो जाता है. ऐसे में सांसों को ताजा बनाए रखने के लिए एक एंटासिड गोली जादुई कमाल करती है. 

दांतों की सफाई

शरीर में सल्फर बनाने वाली चीजें जैसे प्याज, लहसुन और बंदगोभी से परहेज करें. ये बदबू पैदा करती हैं. अगर ऐसी चीजें आप की पसंदीदा चीजों की लिस्ट में शुमार हैं तो इन के सेवन के बाद मुंह में सौंफ, इलायची या लौंग रखें. पर किसी खास से मिलने जाना हो या मीटिंग में जाने की बात हो तब इन्हें खाने से परहेज करें. संभव हो तो अपने पर्स में हमेशा शुगरफ्री मिंट या इलायची फ्लेवर्ड च्यूइंगम रखें. इस का इस्तेमाल खाना खाने के बाद करें या जब भी मुंह से बदबू आने का एहसास हो, तब च्यूइंगम चबा लें. जिस च्यूइंगम में मीठा स्वाद बनाने के लिए जायलिटोल स्वीटनर हो, उस का इस्तेमाल करें.

माउथवाश का इस्तेमाल करें. यह मुंह में बनने वाले बैक्टीरिया को मारता है.

खूब पानी पीएं, पूरे दिन थोड़ाथोड़ा कर के पानी पीने से दांतों में फंसे अनाज के छोटेछोटे कण पेट में चले जाते हैं.

बैलेंस डाइट लें. इस से अपच की परेशानी नहीं होगी और मुंह से बदबू नहीं आएगी.

मुंह में हमेशा नमी रखें. सूखे मुंह से बदबू आती है.

खानपान का रखें खयाल

 कई लोगों की सांसों में प्राकृतिक तौर पर दुर्गंध होती है. कुछ खास आदतें अपनी दिनचर्या में शामिल करने से इस दुर्गंध को दूर किया जा सकता है. जैसे मेथी की चाय पीने की आदत. मेथी के बीजों को 1/2 लीटर पानी में धीमी आंच पर 15 मिनट तक उबालें, फिर इसे छान कर पी लें. चाहें तो इस में चीनी मिला लें. इस के अलावा 2 कप पानी मेें थोड़ी सी अजवाइन के साथ 2-4 लौंग उबाल लें. इसे ठंडा कर के रखें और इस से कुल्ला करें. प्राकृतिक दुर्गंध हटाने के लिए एक और उपाय यह है कि 1 गिलास पानी में 1 नीबू निचोड़ लें और इस पानी से दिन में 2-3 बार गरारे करें.

आजकल हर कोई फिटनेस के लिए लो कार्बोहाइड्रेट डाइट ले रहा है. कम कार्बोहाइड्रेट लेने की वजह से शरीर में ऊर्जा के लिए काबर्ोेहाइड्रेट की जगह फैट बर्न होता है, जिस से कीटोन या एसिटोन नामक पदार्थ बनते हैं. यह बदबूदार पदार्थ होता है, जो समूचे शरीर के साथ मुंह में भी पैदा होता है. इस से मुंह में दुर्गंध पैदा होती है. इस से बचने के लिए केला खाएं. बदबूदार सांसों की एक वजह डायबिटीज भी हो सकती है. इस बीमारी में शरीर ग्लूकोज की जगह फैट बर्न करता है और इस से कीटोन पदार्थ बनने लगता है और सांसों में बदबू पैदा होती है. डायबिटीज पर काबू बनाए रखें.

डाक्टर से परामर्श

अगर किन्हीं कारणों से शरीर ट्राइमिथायलामाइन नामक केमिकल को नहीं तोड़ पाता है तो यह तत्त्व सलाइवा में घुलने लगता है, इस से भी सांसों में

दुर्गंध पैदा होती है. इस के अलावा यह केमिकल पसीने में भी मिल जाता है, जिस से पसीना भी अति बदबूदार हो जाता है. इस स्थिति को ट्राइमिथायलामाइनुरिया कहते हैं. इस की पहचान खुद नहीं की जा सकती है. अगर आप को अचानक से सांसों में बदबू और शरीर से आने वाली दुर्गंध का एहसास होने लगे तो डाक्टर को दिखाएं.

अनियमित खानपान की आदतों की वजह से कब्ज की शिकायत आम है. यह भी सांसों को बदबूदार बनाने का काम करती है. इस के लिए सांसों की बदबू का नहीं, कब्जियत का ट्रीटमेंट कराना जरूरी होता है. और उस की सलाह को अमल में अवश्य लाएं.

साइनस से ग्रसित लोगों को भी सांसों की दुर्गंध की शिकायत होती है. नाक में होने वाले कंजेशन से छुटकारा पाने पर सांसों की बदबू से छुटकारा पाया जा सकता है.

दवाओं के साइड इफेक्ट न केवल शरीर के स्वास्थ्य को क्षति पहुंचाते हैं, बल्कि अंदरूनी तौर पर सांसों में बदबू भी फैलाते हैं. गलत दवा या दवा के साइड इफेक्ट से मुंह सूखने की शिकायत रहती है, जिस से सलाइवा ठीक तरह से नहीं बन पाता है और परिणामस्वरूप सांसों में बदबू हो जाती है.

कई लोगों को साइकोलोजिकल तौर पर यह गलतफहमी हो जाती है कि उन के मुंह से बदबू आती है, जबकि सच में ऐसा नहीं होता है. ऐसी स्थिति को सुडो हैलिटोसिस कहते हैं. इस का इलाज मनोरोग चिकित्सक से कराएं.

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