Nutrition Tips For New Mothers :  “अरे बहू, तुम तो बेबी को फीड कराती हो न फिर करेले की सब्जी क्यों खा रही हो? तुम्हारा दूध कड़वा हो गया तो ऐसे समय पर तो तुम्हें छोले, मटर, गोभी प्याजलहसुन कुछ नहीं खाना चाहिए, बच्चे को मिरची लग जाएगी, उसे गैस बन जाएगी. तुम बस मीठा खाओ जो मैं ने तुम्हारे लिए लड्डू बनाए हैं, चूरमा बनाया है और दूध ही दूध पियो…” हर नई मां को ऐसा ज्ञान दिया जाता है लेकिन क्या आप को पता है कि एक नई मां के लिए पहली बार मां बनना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है?

दरअसल, उसे बच्चे की देखभाल के साथ अपनी सेहत और आहार पर भी ध्यान देना होता है, लेकिन कई बार परिवार और रिश्तेदार नई मां के खाने पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं और रोकटोक करने लगते हैं, जिस से नई मां खानापीना छोड़ देती है और स्ट्रैस में आ जाती है.

मां का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य

नई मां को शारीरिक रूप से ठीक होने के लिए समय चाहिए. बच्चे के जन्म के बाद उसके शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिस से उसे स्वस्थ रहने के लिए उचित पोषण की आवश्यकता होती है. नई मां को दूध पिलाते समय भी उस की डाइट पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है. ऐसे में जब परिवार के सदस्य खाने पर रोकटोक करते हैं, तो यह मां के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.

परंपराओं और सलाहों का वजन

हमारे समाज में अकसर पुरानी परंपराओं और मान्यताओं का पालन किया जाता है. कई बार लोग सोचते हैं कि कुछ खाने की चीजें जैसे तला हुआ खाना या मसालेदार भोजन मां की स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. लेकिन यह सच नहीं है. यदि मां स्वस्थ है और उसे कोई ऐलर्जी नहीं है, तो उसे जो भी स्वादिष्ठ और पौष्टिक भोजन चाहिए, उसे खाने दिया जाना चाहिए.

आत्मनिर्भरता और विश्वास की भावना

जब नई मां को परिवार से समर्थन मिलता है और उसे अपना आहार खुद चुनने की स्वतंत्रता मिलती है, तो इस से उसे आत्मनिर्भरता और विश्वास की भावना पैदा होती है. यह उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, जिस से वह अपने बच्चे की देखभाल में बेहतर प्रदर्शन कर पाती है.

भोजन में विविधता की महत्ता

नई मां के लिए आहार में विविधता बेहद महत्त्वपूर्ण है. इस से न केवल उसे आवश्यक पोषक तत्त्व मिलते हैं, बल्कि यह उस की सेहत और ऊर्जा के लिए भी फायदेमंद होता है. यदि परिवार उसे बारबार एक ही प्रकार का भोजन खाने के लिए कहे, तो वह मानसिक रूप से थक सकती है.

मानसिक तनाव से बचना जरूरी है

जब नई मां को खाने पर पाबंदी लगाई जाती है या उसे बताया जाता है कि कौन सा खाना उसे नहीं खाना चाहिए, तो यह मानसिक तनाव का कारण बन सकता है. मां को यह महसूस होता है कि उस के आहार पर अन्य लोग नियंत्रण रख रहे हैं, जिस से उस की मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है. इस का असर न केवल मां पर, बल्कि बच्चे पर भी पड़ सकता है. जब मां मानसिक रूप से स्वस्थ रहती है, तो वह बच्चे की देखभाल बेहतर तरीके से कर पाती है.

व्यक्तिगत पसंद और जरूरत का सम्मान करें

हर महिला का शरीर और आहार की जरूरतें अलग होती हैं. नई मां को अपने शरीर की सुननी चाहिए और यह निर्णय लेना चाहिए कि उसे क्या खाना चाहिए. परिवार को चाहिए कि वे उस की व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करें और उसे स्वयं निर्णय लेने का अवसर दें. यह उसे आत्मनिर्भर महसूस कराता है और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है.

दूध पिलाने के दौरान पोषण का महत्त्व

स्तनपान के दौरान मां के आहार का असर बच्चे पर पड़ता है. यह बेहद महत्त्वपूर्ण होता है कि मां को वह पोषण मिले, जिस से उस के दूध में आवश्यक तत्त्व मौजूद रहें. दूध में प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थों का संतुलन बनाए रखने के लिए मां का आहार सही होना चाहिए. अगर मां को अपने खाने पर पाबंदी का सामना करना पड़ता है, तो वह अपनी जरूरत के अनुसार आहार नहीं ले पाएगी, जो उस के और बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है.

पारंपरिक विचारों को पुनः समझने की आवश्यकता है

हमारे समाज में पारंपरिक सोच यह होती है कि कुछ खाद्यपदार्थ नई मां के लिए ठीक नहीं होते. लेकिन समय के साथ यह समझना जरूरी है कि हर महिला की शरीर की जरूरतें अलग होती हैं. यह जरूरी नहीं कि हर पुरानी परंपरा या मान्यता सही हो. नई मां को उस के आहार के बारे में किसी भी तरह की पाबंदी लगाने से पहले उस की शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य को समझना चाहिए.

मां का मानसिक स्वास्थ्य

नई मां के मानसिक स्वास्थ्य का भी उतना ही महत्त्व है जितना उस की शारीरिक सेहत का. अगर वह हर समय यह महसूस करती है कि उस के खाने पर किसी की नजर है और वह आलोचनाओं का सामना कर रही है, तो इस का असर उस की मानसिक स्थिति पर पड़ सकता है. यह तनाव और चिंता को बढ़ा सकता है, जिस से वह बच्चे की देखभाल में भी असहज हो सकती है. जब मां को उस के आहार और निर्णयों पर पूरा विश्वास होता है, तो वह न केवल खुद को बेहतर महसूस करती है, बल्कि बच्चे की देखभाल में भी अधिक सक्षम होती है.

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