पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) एक हार्मोनल डिसऑर्डर होता है जो बढ़े हुए ओवरी के बाहरी किनारों पर छोटे सिस्ट के साथ होता है. यह भारत में प्रजनन से सम्बंधित महिलाओं में कॉमन लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होता है. यह हर 5 में से 1 महिला को होता है. अगर यह बढ़ती उम्र के साथ शुरूआती स्टेज में ठीक नहीं किया जाता है तो यह कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का मूल कारण माना जाता है.
AIIMS के मेटाबोलिज्म और एन्ड़ोक्रिनोलोजी डिपार्टमेंट की एक रिसर्च के अनुसार भारत की 40% बच्चें पैदा करने की उम्र की महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित होती है जबकि 60% पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं मोटापे से पीड़ित होती है. 30 से 35% महिलाओं का लीवर फैटी होता है. लगभग 70% महिलाओं में इंसुलिन की रुकावटए 60 से 70% में हाई लेवल का एण्ड्रोजन और 40 से 60% महिलाओं में ग्लूकोज इनटॉलेरेंस होता है.
हममें से कई लॉकडाउन और क्वारंटाइन में रहे. पीसीओएस और कोरोनावायरस के स्ट्रेस से निजात पाना आसान नही है. यहाँ कुछ उपाय बताये जा रहा हैं जिससे आप अपने पीसीओएस को मैनेज कर सकते हैं. सेडेंटरी डिजिटल एरा का एक प्रोडक्ट-
1. डाइट मैनेजमेंट बहुत जरूरी
चूंकि लॉकडाउन के कारण जंक फूड आसानी से उपलब्ध नहीं है, डॉक्टरों का सुझाव है कि महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. लॉकडाउन में हाई-कैलोरी खाने से परहेज करके जई, दलिया और पोइंटहेड खाकर वजन घटाने का सबसे अच्छा मौका है. फ़ूड इस कंडीशन को मैनेज करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक पीसीओएस महिला को अपनी डाइट चेक करनी चाहिए नहीं तो वजन बढ़ने से प्रभाव उल्टा पड़ सकता है. अनहेल्थी तले हुए फ़ूड, शुगर बेवरेज, प्रोसिज्ड मीट,लाल मीट नहीं खाना चाहिए. यहां तक कि दूध और इससे बने प्रोडक्ट्स को भी खाने से बचना चाहिए क्योंकि दूध टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाता है. टेस्टोस्टेरोन का लेवल इस बीमारी की कंडीशन में हाई होता है, डेयरी प्रोडक्ट समस्या को और जटिल बना सकते हैं.
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